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संपोषणीय विकास का मतलब केवल आर्थिक विकास से नहीं : प्रो. केएल शर्मा

राजस्थान विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग की ओर से यूजीसी एसेप डीआरएस के तहत संपोषणीय विकास और गुणवत्तापूर्ण जीवन: महामारी के बाद समाज की जरूरत विषय पर मंगलवार को राष्ट्रीय संगोष्ठी की शुरुआत हुई।

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जयपुर

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Rakhi Hajela

Mar 29, 2022

संपोषणीय विकास का मतलब केवल आर्थिक विकास से नहीं : प्रो. केएल शर्मा

संपोषणीय विकास का मतलब केवल आर्थिक विकास से नहीं : प्रो. केएल शर्मा

संपोषणीय विकास का मतलब केवल आर्थिक विकास से नहीं : प्रो. केएल शर्मा
राजस्थान विवि में शुरू हुई राष्ट्रीय संगोष्ठी
जयपुर।
राजस्थान विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग की ओर से यूजीसी एसेप डीआरएस के तहत संपोषणीय विकास और गुणवत्तापूर्ण जीवन: महामारी के बाद समाज की जरूरत विषय पर मंगलवार को राष्ट्रीय संगोष्ठी की शुरुआत हुई। संगोष्ठी के पहले दिन उद्घाटन सत्र में समाजशास्त्र विभाग की अध्यक्ष प्रो. रश्मि जैन ने स्वागत उद्बोधन देते हुए समाजशास्त्र विभाग की गौरवशाली परम्परा का उल्लेख किया। उनका कहना था कि विभाग अपने हीरक जयंती वर्ष में यह राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित कर रहा है। महामारी के बाद समाज जीवन पद्धति के प्रतिमानों को पुन: समाज की आवश्यकता अनुरूप संरचित करने की आवश्यकता है। आयोजक प्रो.एसएल शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि गुणवत्तापूर्ण जीवन पर विमर्श इस महामारी के बाद बाद अधिक आवश्यक हो गया है, इस तरह के विमर्श से समाज को नई दिशा मिलेगी। मुख्य वक्ता के रूप में शिरकत करते हुए विकास अध्ययन संस्थान के अध्यक्ष प्रो. केएल शर्मा का कहना था कि संपोषणीय विकास का मतलब केवल आर्थिक विकास से नहीं है अपितु न्यायपूर्ण समाज की स्थापना से है लेकिन न्याय की स्थापना प्राकर्तिक व स्वत:होनी चाहिए उसका आधार दवाब और भय नहीं हो सकता।
भारतीय समाजशास्त्रीय परिषद के सचिव प्रो. मनीष कुमार वर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि महामारी के बाद चुनौतियां तो बड़ी उत्पन्न हुईं लेकिन सतत विकास के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए हमे सामाजिक उत्थान का प्रयास करना चाहिए। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता राजस्थान विवि के कुलपति प्रो. राजीव जैन ने की। उद्घाटन सत्र के बाद संपोषणीय जीवन और रोजगार कोविड 19 के संदर्भ में प्रवसन बाद उत्पन्न सामाजिक आर्थिक संकट, सामाजिक पारिस्थितिकी का समाजशास्त्रीय परिपेक्ष्य,हिमालय के ऊपरी हिस्सों की पारिस्थिकी में रहने वाले समुदायों के सामने आने वाली चुनोतियां आदि विषयों पर अनेक सत्र आयोजित किए ग ए। जिनमें प्रो. इंद्रा रामाराव, प्रो.रााजीव गुप्ता, प्रो. डी आर साहू, प्रो.सुरेश बाबू जी, एसएजे एन यू नई दिल्ली,प्रो. सुषमा सूद,प्रो. नैना शर्मा, प्रो. सुशीला जैन, डॉ. अरुणा भार्गव आदि समाजशास्त्रियों ने अपने विचार व्यक्त किए।