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शिक्षकों का स्थान नहीं ले सकती है टेक्नोलॉजी – डॉ भूषण पटवर्धन

कोरोना संकट ( Corona crisis ) के कारण बदली शिक्षा देने की व्यवस्थाओं ( education systems ) में बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है। ऑनलाइन लर्निंग ( online learning ) को बढ़ावा देने की बात भी कही जा रही है लेकिन साथ ही शिक्षाविद इस व्यवस्था को पूरी तरह से सही भी नहीं मान रहे हैं।

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Technology cannot take the place of teachers

शिक्षकों का स्थान नहीं ले सकती है टेक्नोलॉजी - डॉ भूषण पटवर्धन

जयपुर
Online learning : कोरोना संकट ( Corona crisis ) के कारण बदली शिक्षा देने की व्यवस्थाओं ( education systems ) में बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है। ऑनलाइन लर्निंग ( online learning ) को बढ़ावा देने की बात भी कही जा रही है लेकिन साथ ही शिक्षाविद इस व्यवस्था को पूरी तरह से सही भी नहीं मान रहे हैं। यूजीसी के वाइस चेयरमेन डॉ भूषण पटवर्धन ( UGC Vice Chairman Dr. Bhushan Patwardhan ) का कहना है कि एजुकेशन सिस्टम को ऑटोमेटिक नहीं बनाना चाहिए क्योंकि शिक्षकों का स्थान टेक्नोलॉजी नहीं ले सकती है। भविष्य की एजुकेशन मिलीजुली होगी। अच्छे शिक्षण संस्थान शिक्षा के लिए अच्छे कंटेंट को डिलीवर करने पर फोकस करेंगे। भारत में हायर एजुकेशन सिस्टम को सस्टेनेबल गोल्स पर फोकस करना चाहिए जोकि बहुत ही महत्वपूर्ण है। डॉ भूषण पटवर्धन ने यह बातें आईआईएचमआरयूनिवर्सिटी की ओर से आयोजित'हार्टफुल लीडरशिप' के ट्रांस्फोर्मिंग एजुकेशन और सपोर्टिंग सस्टेनेबिलिटी वेबिनार में कही। हार्टफुलनेस इंस्टीट्यूट और यूएन ग्लोबल कॉम्पैक्ट नेटवर्क इंडिया के सहयोग से आयोजित वेबिनार में अनुभवी लीडर्स, विचारक, शिक्षाविद समेत अन्य विशेषज्ञों ने अपने विचार रहे। इस वेबिनार में 1000 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

इस दौरान एआईयू की जनरल सेक्रेटरी डॉ पंकज मित्तल ने कहा कि कोविड-19 ने भारत में एजुकेशन के प्रैक्टिकल पहलू को फेस करवाया है। उन्होंने कहा कि आने वालो दो महीनो में भारत के हायर एजुकेशन इंस्टिट्यूट को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के लिए कॉस्ट इफेक्टिव, फैकल्टी स्टाफ, टीचरों की कैपेसिटी, टेक्निकल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए तैयार होना चाहिए। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर एजुकेशन, मूल्यांकन और मूल्यांकन प्रणाली को सुव्यवस्थित, प्लेसमेंट और इंटर्नशिप अपॉर्चुनिटी की पहचान की जानी चाहिए, छात्रों के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग होना चाहिए और सांस्कृतिक रूप से कॉन्सलेशन और मेन्टल हेल्थ सेशन छात्रों के साथ आयोजित किया जाना चाहिए। इस अवसर पर आईआईएचमआर यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट डॉ पंकज गुप्ता, हार्टफुलनेस इंस्टिट्यूट के गाइड और फाउंडर डॉ कमलेश डी पटेल, डॉ एच चतुर्वेदी, डॉ संदीप संचेती, डॉ भीमरया मैत्री, डॉ एलिज़ाबेथ, डॉ रवि गुप्ता, कमल सिंह, डॉ ज्योफ्री क्लेमेंट्स समेत अन्य विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे।