जयपुर

निगम मेहरबान … कंपनी में नहीं दिखता कोई खोट, जांच के नाम पर खानापूर्ति

 बिजली बचत का झांसा दे स्ट्रीट लाइट्स बदलने वाली कम्पनी पर निगम के अधिकारी मेहरबान रहे हैं। यही वजह है कि कभी किसी ने काम को लेकर कोई आपत्ति दर्ज नहीं करवाई। इतना ही नहीं, किसी अधिकारी ने अनुबंध के मुताबिक पड़ताल करवाना चाही तो उसमें भी सिर्फ खानापूर्ति हुई।मौजूदा समय में फर्म का करीब […]

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Jun 22, 2025

 बिजली बचत का झांसा दे स्ट्रीट लाइट्स बदलने वाली कम्पनी पर निगम के अधिकारी मेहरबान रहे हैं। यही वजह है कि कभी किसी ने काम को लेकर कोई आपत्ति दर्ज नहीं करवाई। इतना ही नहीं, किसी अधिकारी ने अनुबंध के मुताबिक पड़ताल करवाना चाही तो उसमें भी सिर्फ खानापूर्ति हुई।मौजूदा समय में फर्म का करीब सात करोड़ रुपए के बिल का भुगतान कराने के लिए विद्युत शाखा प्रयासरत है। हालांकि, लेखा शाखा ने भुगतान से पहले आपत्तियों की झड़ी लगा दी। इसके बाद फाइल हैरिटेज निगम महापौर कार्यालय में लम्बित है।रिपोर्ट में खामियां ही खामियां

अप्रेल, 2024 में हैरिटेज निगम की ओर से सेंट्रलाइज्ड कंट्रोल एंड मॉनिटरिंग सिस्टम (सीसीएमएस) स्विच और स्ट्रीट लाइट्स का भौतिक सत्यापन के लिए आदेश निकाला गया। इसमें एक सहायक अभियंता और पांच कनिष्ठ अभियंताओं की वार्ड के हिसाब से ड्यूटी लगाई गई। रिपोर्ट के नाम पर खानापूर्ति की गई। सूत्रों की मानें तो अनुबंध के मुताबिक इसमें खामियां ही खामियां थीं। उच्च अधिकारियों के साथ मिलकर विद्युत शाखा ने मामला दबा दिया।इसलिए जरूरी सीसीएमएस

एक्सपर्ट की मानें तो यह क्लाउड बेस्ड सर्वर होता है। कहीं भी स्ट्रीट लाइट्स बंद होती हैं या फिर अन्य दिक्कत आने पर सीसीएमएस के जरिये मैसेज कंट्रोल रूम पर पहुंचता है। फॉल्ट रेक्टिफिकेशन टीम (एफआरटी) मौके पर पहुंचकर व्यवस्था को सुचारू करती है। मौजूदा समय की बात करें तो राजधानी में सीसीएमएस सिस्टम सही तरह से विकसित ही नहीं किया। ऐसी स्थिति में शिकायतों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अभी 1500 से अधिक शिकायतें लम्बित हैं।

Published on:
22 Jun 2025 05:07 pm
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