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राजस्थान में शहरी निकाय और पंचायत चुनाव में देरी का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, सुनवाई आज

राजस्थान में शहरी निकायों और पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल पूरा होने के बावजूद चुनाव नहीं करवाने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।

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सुप्रीम कोर्ट। पत्रिका फाइल फोटो

जयपुर। राजस्थान में शहरी निकायों और पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकाल पूरा होने के 17 माह बाद भी चुनाव नहीं होने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इस पर कोर्ट आज सुनवाई करेगा।

पूर्व विधायक संयम लोढ़ा ने राजस्थान हाईकोर्ट के करीब एक माह पुराने आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की है, जिसमें तत्काल चुनाव करवाने की प्रार्थना की गई है।

याचिका में क्या?

याचिका में कहा कि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार शहरी निकायों का कार्यकाल पूरा होने से ही चुनाव करा लिए जाने चाहिए, लेकिन पांच साल का कार्य पूरा कर चुकी स्थानीय निकायों के चुनाव कराने के बजाय उनमें प्रशासक लगा दिए गए हैं। ऐसा किया जाना संवैधानिक प्रावधानों और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है।

राजस्थान हाईकोर्ट ने 14 नवम्बर को इस मामले पर फैसला सुनाते समय नगरपालिका अधिनियम 2009 के उन प्रावधानों का ध्यान नहीं रखा, जिनमें स्पष्ट उल्लेख है कि पांच साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद चुनाव टाले नहीं जा सकते। यदि इसके विपरीत किया जाता है तो वह 74 वें संविधान संशोधन का खुला उल्लंघन है।

हाईकोर्ट ने 15 अप्रेल 2026 तक का चुनाव कराने को कहा

याचिका में कहा गया है कि राजस्थान हाईकोर्ट ने 15 अप्रेल 2026 तक चुनाव कराने का समय दिया है, जो संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है। सुप्रीम कोर्ट पंजाब सहित कई राज्यों के मामले में शीघ्र चुनाव कराने का आदेश दे चुका है, जिसके हाईकोर्ट के आदेश में अनदेखी की गई है।