रंगे हाथ रिश्वत लेने के बाद भी अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने से बचने वाले भ्रष्ट अधिकारियों की अब खैर नहीं। संबंधित विभाग के मुखिया अपने स्तर पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को भ्रष्ट अधिकारी व कार्मिक की अभियोजन स्वीकृति नहीं देकर मामला बंद करवा देते थे।
रंगे हाथ रिश्वत लेने के बाद भी अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलने से बचने वाले भ्रष्ट अधिकारियों की अब खैर नहीं। संबंधित विभाग के मुखिया अपने स्तर पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को भ्रष्ट अधिकारी व कार्मिक की अभियोजन स्वीकृति नहीं देकर मामला बंद करवा देते थे।
अब राज्य सरकार ने भ्रष्ट अधिकारी की अभियोजन स्वीकृति नहीं देने से पहले इसकी मंजूरी विशेष कमेटी से लेने का प्रावधान किया है। सरकार ने मुख्य सचिव ऊषा शर्मा की अध्यक्षता में विशेष कमेटी का गठन किया, जिसमें गृह सचिव व कार्मिक सचिव सदस्य होंगे।
भ्रष्टाचार में लिप्त संबंधित अधिकारी व कार्मिक को विभागीय क्लीनचिट लेने से पहले इस कमेटी से भी क्लीनचिट लेनी होगी। कमेटी से क्लीनचिट मिलने के बाद विभागाध्यक्ष संबंधित अधिकारी व कर्मचारी की अभियोजन स्वीकृति नहीं देने का निर्णय ले सकेंगे।
कैबिनेट मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने बताया कि सरकार भ्रष्टाचार पर किसी भी स्तर पर टोलरेंस नहीं करेगी। इसी उद्देश्य से यह कमेटी बनाई गई है। गौरतलब है कि एसीबी के कार्यवाहक डीजी के काले फरमान के आदेश के बाद राजस्थान पत्रिका ने विभागाध्यक्षों द्वारा अभियोजन स्वीकृति का भी मुद्दा उठाया था।