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हाईकोर्ट के आदेश की अनदेखी, कलक्टर बोले, करो पुनरीक्षण

जयपुर जिला मजिस्टे्रट ने उच्च न्यायालय के स्टे ऑर्डर की धज्जियां उड़ा दी हैं। मामला आमेर तहसील के राजस्व ग्राम खेरवाड़ी में 28.177 हैक्टेयर के भू-रूपांतरण से जुड़ा है

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Shankar Sharma

Apr 07, 2016

Jaipur news

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जयपुर.
जयपुर जिला मजिस्टे्रट ने उच्च न्यायालय के स्टे ऑर्डर की धज्जियां उड़ा दी हैं। मामला आमेर तहसील के राजस्व ग्राम खेरवाड़ी में 28.177 हैक्टेयर के भू-रूपांतरण से जुड़ा है। राजधानी के एक बड़े बिल्डर ने भू-रूपांतरण के लिए जेडीए में आवेदन किया। जेडीए ने जोधपुर हाईकोर्ट के जयपुर में इकोलॉजिकल भूमि के भू-उपयोग परिवर्तन पर स्टे का हवाला देते हुए भू-रूपांतरण से मना कर दिया।


इस पर मंगलम बिल्डर्स के निदेशक रामबाबू अग्रवाल, विनोद गोयल, सीमा अग्रवाल, बीना गोयल, अमृता गुप्ता, तारा गुप्ता अपील लेकर कलक्टर कृष्ण कुणाल के पास पहुंचे। कुणाल ने इस पर जेडीए के आदेश को निरस्त कर दिया। साथ ही जेडीए को कोर्ट के 9 दिसम्बर 2010 के आदेश के तहत दोबारा परीक्षण करने का निर्देश दे डाला। जेडीए ने अतिरिक्त महाधिवक्ता से राय मांगी है।

ऐसे सैकड़ों आवेदन
भू-रूपांतरण के ऐसे सैकड़ों आवेदन जेडीए के पास आ चुके हैं। लेकिन अभी तक किसी को अनुमति नहीं दी गई है।

...आखिर किसकी सुनते हैं अफसर
राज्य सरकार लगातार अफसरों को हाईकोर्ट के आदेश की पालना करने के निर्देश देती रही है। खुद जिला कलक्टर ने भी अपने पारित निर्णय में हाईकोर्ट के स्थगन आदेश का हवाला दिया है। इसके बावजूद जनहित याचिका निस्तारित हुए बिना ही फैसला सुना दिया। जेडीए के आदेश को भी निरस्त कर दिया। अब जयपुर विकास प्राधिकरण ने अतिरिक्त महाधिवक्ता का दरवाजा खटखटाया है।

...तो होगी कार्रवाई
जोधपुर हाईकोर्ट में वर्ष 2004 से जनहित याचिका विचाराधीन है। इसी के तहत 9 दिसम्बर 2010 का भी निर्णय है, जिसमें न केवल ग्रीन बेल्ट क्षेत्र व पर्यावरण क्षेत्र का भू-उपयोग परिवर्तन पर रोक लगाई बल्कि कहा कि अन्य भू-उपयोगों में से भी कोई भू-उपयोग परिवर्तन सामान्य तौर से नहीं किया जाए। फिर भी ऐसी कार्यवाही की गई तो संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होंगे।

नहीं लेंगे आवेदन
आवेदनकर्ता ने उच्च न्यायालय में भी पक्ष रखने की कोशिश की। लेकिन न्यायालय ने नहीं माना और कहा कि हम केस को डिसाइड कर रहे हैं, इसलिए न आपका, न किसी अन्य का आवेदन स्वीकार कर सकते हैं।

रास्ता निकालने की कोशिश
मास्टर प्लान 2011 में इस भूमि का उपयोग इकोलॉजिकल था, जिसे मास्टर प्लान 2025 में बदलकर औद्योगिक कर दिया। आवेदनकर्ता ने यहीं से रास्ता निकालने का प्रयास किया। तर्क दिया कि न्यायालय के आदेश इस पर लागू नहीं होते हैं। जबकि, वर्ष 2004 में लगी जनहित याचिका के दौरान भी मास्टर प्लान
2011 प्रभावी था।


भू रूपांतरण के लिए जेडीए पहुंचा बिल्डर
बिल्डर ने 8 जनवरी 2015 को जेडीए में भू-रूपांतरण के लिए आवेदन किया।
जेडीए ने 15 मई 2015 को भू-रूपांतरण से मना किया, जोधपुर हाईकोर्ट के स्टे ऑर्डर का हवाला दिया।

कलक्टर ने किया आदेश निरस्त
आवेदनकर्ता ने कलक्टर से अपील की।
कलक्टर ने 17 फरवरी को जेडीए के 15 मई के आदेश को निरस्त कर राजस्व न्यायालय के अंतरिम आदेश 9 जनवरी, 2010 का हवाला देते हुए पुन: परीक्षण को कहा।

मना करने के पीछे जेडीए के तर्क

यदि भूमि का मास्टर प्लान 2011 में उपयोग इकोलॉजिकल रहा और मास्टर प्लान 2025 में औद्योगिक अधिसूचित है, तब भी औद्योगिक प्रयोजनार्थ रूपान्तरण करना संभव नहीं है।

जोधपुर उच्च न्यायालय में 2004 से विचाराधीन इस मामले में इकोलॉजिकल भूमि को अन्य प्रयोजनार्थ परिवर्तन करने पर स्थगन आदेश प्रभावी है।

मास्टर प्लान 2011 में उपयोग इकोलॉजिकल रहा प्लान 2025 में औद्योगिक भू-उपयोग करने के बाद भी औद्योगिक प्रयोजन के लिए रूपांतरित नहीं हो सकती।

फिलहाल मामले की जानकारी नहीं है। जो फैसला किया होगा, वह गुण-अवगुण आधार पर ही होगा।
कृष्ण कुणाल, जिला कलक्टर

अतिरिक्त महाधिवक्ता से राय के लिए मामला भेजा है। रूपांतरण से मना किया है तो पुख्ता कारण होगा। मामला मेरे आने से पहले का है, अध्ययन कर रहा हूं। प्रवीण कुमार, उपायुक्त, जेडीए