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सबक की डोर से उड़ेगी स्वच्छता की पतंग, वरना फिसड्डी का तमगा तय

सिर्फ झाड़ू पर जोर, कचरा छह वर्ष में नहीं कर पाए अलग-अलग हैरिटेज का हाल: शाम होते ही मुख्य बाजारों की सड़कों पर लगने लगते कचरे के ढेर ग्रेटर: वीआईपी इलाके पर फोकस, बाहरी वार्डों में लोगों ने नहीं देखे हूपर

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जयपुर

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GAURAV JAIN

Jan 13, 2024

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राजधानी के दोनों नगर निगम सफाई की परीक्षा में फिसड्डी रहे। इसके एक नहीं कई कारण हैं। जब से स्वच्छ सर्वेक्षण शुरू हुआ, उसके बाद से नगर निगम का फोकस सड़कें साफ करने पर ही रहा। जो परिणाम आया है, उससे दोनों निगम को सबक लेकर आगे बढ़ने की जरूरत है। यदि ऐसा नहीं किया तो वर्ष 2024 के सर्वेक्षण में और बुरा हाल होगा।

हैरिटेज निगम की बात करें तो शाम होते ही मुख्य बाजारों में सड़क किनारे कचरे के ढेर लगने शुरू हो जाते हैं। रात भर कचरा सड़ता रहता और पशु मुंह मारते रहते हैं। कई बार तो अगले दिन दोपहर तक कचरे के ढेर लगे रहते हैं। वहीं, ग्रेटर नगर निगम की बात करें तो निगम का फोकस वीआईपी इलाके पर ही है। जेएलएन मार्ग, सहकार मार्ग, विधानसभा के आस-पास ही सफाई दिखाई देती है। निगम के बाहरी वार्डों में तो कई दिन तक हूपर ही नहीं पहुंचते हैं।

गीला-सूखा ही नहीं कर पा रहे अलग

राजधानी के दोनों नगर निगम अब तक गीला-सूखा कचरा ही अलग नहीं कर पा रहे हैं। इंदौर में पांच तरह का कचरा हूपर लेकर जाता है। हैरानी की बात यह है कि राजधानी में जो हूपर कचरा लेने आते हैं, उनके पास पांच तरह का कचरा संग्रहण करने की व्यवस्था ही नहीं है।

यहां निगम फेल

-स्वच्छ सर्वेक्षण की टूल किट के हिसाब से काम नहीं हो पा रहा है।

-शहरवासियों को अभियान से जोड़ने में निगम हर बार फेल होता है।

-कॉलेज और स्कूलों में भी कार्यक्रम भी नाम मात्र के होते हैं।

एक कारण ये भी

स्वास्थ्य शाखा के उपायुक्त की जिम्मेदारी सर्वाधिक होती है, लेकिन पिछले तीन वर्ष की बात करें तो हर पांच से छह माह में उपायुक्त बदल दिया गया। ऐसे में सर्वेक्षण को गति नहीं मिल पाती। इसके अलावा उपायुक्त के पास अन्य जोन या फिर अन्य शाखा का काम भी रहता है। ऐसे में नियमित बैठकों में ही उनका समय निकलता रहता है। फील्ड में कुछ नया करने का समय ही नहीं मिल पाता।

आसान नहीं है आगे आना

-इस बार शहरवासियों के साथ-साथ स्कूलों को भी जोड़ना होगा। साफ टॉयलेट से लेकर कचरा निस्तारण के बारे में निगम को बताना होगा। इसके 75 अंक मिलेंगे।

निगम ने क्या किया: अब तक इस तरह के आयोजन शुरू ही नहीं किए गए हैं।

-सिंगल यूज प्लास्टिक: प्रतिबंधित प्लास्टिक का उपयोग नियमित रूप से हो रहा है। इसकी वजह से सर्वेक्षण के दौरान अंकों में कटौती होती है। सर्वेक्षण में 150 अंक निर्धारित किए गए हैं।

निगम ने क्या किया: चालान करके खानापूर्ति कर रहा है।

-जनता को पता नहीं : सिटीजन फीडबैक में इस बार जनआंदोलन को भी जोड़ा गया है, लेकिन अब तक लोगों को इसके बारे में जानकारी ही नहीं है।

निगम ने क्या किया: अब तक किसी को भी इस बारे में जानकारी नहीं दी गई।

यहां कटेंगे नम्बर

सीएनडी (कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलेशन) वेस्ट प्लांट ही नहीं: पिछले कई वर्ष से सीएनडी वेस्ट प्लांट की बातें ही हो रही हैं। इंदौर सहित अन्य छोटे शहरों में भी इस तरह के प्लांट शुरू हो चुके हैं।