
पूर्व सीएम अशोक गहलोत, पत्रिका फाइल फोटो
Rajasthan Aravalli: जयपुर। अरावली हिल्स को लेकर उठे विवाद के बीच पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और भाजपा नेता राजेन्द्र राठौड़ के आरोपों पर पलटवार किया है। गहलोत ने कहा कि भाजपा सरकार अपनी गलत नीतियों और खनन माफिया से कथित मिलीभगत पर पर्दा डालने के लिए अनर्गल आरोप लगा रही है, जबकि सच्चाई खुद सरकारी रिकॉर्ड और दस्तावेजों में दर्ज है।
गहलोत ने ‘100 मीटर’ परिभाषा को लेकर 2010 और 2024 की स्थिति की तुलना करते हुए सवाल उठाया कि जिसे सुप्रीम कोर्ट 14 साल पहले खारिज कर चुका है, उसी परिभाषा को मौजूदा भाजपा सरकार ने दोबारा सही ठहराने की कोशिश क्यों की।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2003 में विशेषज्ञ समिति ने आजीविका और रोजगार के दृष्टिकोण से अरावली की परिभाषा में ‘100 मीटर’ का सुझाव दिया था। इस सिफारिश को तत्कालीन राज्य सरकार ने 16 फरवरी 2010 को एफिडेविट के जरिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखा, लेकिन कोर्ट ने मात्र तीन दिन बाद 19 फरवरी 2010 को इसे खारिज कर दिया।
गहलोत ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने न्यायपालिका के आदेश का पूर्ण सम्मान किया और इसके बाद फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआई) से अरावली की मैपिंग करवाई। इसके विपरीत, 2024 में राजस्थान की मौजूदा भाजपा सरकार ने उसी खारिज परिभाषा का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार की समिति से सिफारिश क्यों की, यह गंभीर सवाल है। उन्होंने पूछा कि क्या इसके पीछे किसी तरह का दबाव है या कोई बड़ा खेल चल रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि कांग्रेस सरकार की नीति अवैध खनन के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की रही है, जबकि भाजपा की पूर्ववर्ती और वर्तमान सरकारों का रवैया नरम रहा है। उन्होंने कहा कि अरावली सिर्फ पहाड़ नहीं, बल्कि राजस्थान की जीवनरेखा है, जो थार मरुस्थल को आगे बढ़ने से रोकती है।
गहलोत ने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव से अपेक्षा जताई कि वे अरावली के संरक्षक की भूमिका निभाएं, न कि विनाशक। उन्होंने खेजड़ली आंदोलन और अमृता देवी के बलिदान का उल्लेख करते हुए अरावली को बचाने की सामूहिक जिम्मेदारी पर जोर दिया।
Updated on:
22 Dec 2025 09:31 am
Published on:
22 Dec 2025 09:00 am
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