
महाजनी लिपि में संविधान की उद्देशिका रचनात्मक कदम- अर्जुनराम मेघवाल
जयपुर। केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को राजस्थानी मोट्यार परिषद् की ओर से महाजनी लिपि में संविधान की उद्देशिका प्रति सौंपी गई। उन्हें संगठन की ओर से राजस्थानी भाषा की मान्यता को लेकर किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी और इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की जनभावना बताई। राज्य सरकार की ओर से बजट सत्र में चर्चा के दौरान इसे राजभाषा बनाने संबंधी कोई प्रगति नहीं की गई है। इससे राजस्थान के बेरोजगारों का नुकसान हो रहा है। आठ करोड़ जनता आज भी अपनी मायड़ भाषा के लिए संघर्ष कर रही है, ऐसे में पद्मश्री और प्रदेश स्तर पर राजस्थानी के लिए दिए जा रहे पुरस्कारों की महत्ता नहीं रह जाती है।
प्रताप गौरव केन्द्र के सचिव और राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य डॉ. परमेन्द्र दशोरा, पूर्व विधायक, भाजपा उदयपुर के प्रभारी बंसीलाल खटीक और मोट्यार परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शिवदान सिंह जोलावास ने महाजनी लिपि में संविधान की उद्देशिका सौंपी और बताया कि अब कम्प्यूटर की-बोर्ड पर भी राजस्थानी भाषा का अधिकार हो रहा है। यह जनता का सम्मान और एक रचनात्मक कदम है।
पुस्तक की भेंट
डॉ. शिवदान सिंह जोलावास ने बताया कि इससे पूर्व राजस्थानी मोट्यार परिषद की ओर से केंद्र सरकार के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सन् 1949 में साहित्य संस्थान उदयपुर की कार्यशाला में प्रस्तुत राजस्थानी भाषा और उसका विकास विषयक भाषा विज्ञानी डॉ. सुनीति कुमार चटर्जी की शोध प्रबंध पुस्तक भेंट की। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर कल्याण सिंह शेखावत और विद्यापीठ के कुलपति कर्नल शिव सिंह सारंगदेवोत मौजूद थे। पिछले चार दिनों से अनवरत राजस्थान के हर हिस्से में भाजपा और कांग्रेस के नेतृत्व तक जोधपुर घोषणा पत्र की मांगें पहुंचाई जा रही हैं।
Published on:
21 Apr 2023 12:17 pm
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