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राज्य सरकार वित्त आयोग को बताएगी राज्य की जरूरतें

locationजयपुरPublished: Sep 09, 2019 07:30:58 am

Submitted by:

KAMLESH AGARWAL

चार दिवसीय प्रदेश दौरे पर आए 15वें वित्त आयोग के सदस्य आज सचिवालय में बैठक करेंगे। जहां पर आज राज्य सरकार के आलाधिकारियों के साथ बैठक करने के साथ ही केबिनेट मंत्री और मुख्यमंत्रियों से मुलाकात करेंगे । जिसके बाद आज शाम को वित्त आयोग का दल वापस दिल्ली लौट जाएगा।

The state government will tell the finance commission the needs of the state

The state government will tell the finance commission the needs of the state

राज्य सरकार वित्त आयोग को बताएगी राज्य की जरूरतें


जयपुर

चार दिवसीय प्रदेश दौरे पर आए 15वें वित्त आयोग के सदस्य आज सचिवालय में बैठक करेंगे। जहां पर आज राज्य सरकार के आलाधिकारियों के साथ बैठक करने के साथ ही केबिनेट मंत्री और मुख्यमंत्रियों से मुलाकात करेंगे । जिसके बाद आज शाम को वित्त आयोग का दल वापस दिल्ली लौट जाएगा।
वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह के नेतृत्व में 20 सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार से प्रदेश में हैं। पहले दो दिन
जोधपुर में रहने के बाद रविवार को राजधानी जयपुर में नगर निकाय, पंचायत राज, राजनीतिक दलों, आर्थिक संगठनों से मुलाकात की। आज दौरे के अंतिम दिन राजस्थान शासन सचिवालय में आयोजित बैठक में आयोग के सदस्य मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के अन्य के सदस्यों तथा वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के साथ विचार विमर्श करेंगे। बैठक में वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, मुख्य सचिव, वित्त आयोग के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री का सम्बोधन होगा। जिसमें सरकार की ओर से प्रजेंटेशन दिया जाएगा और राज्य को विशेष दर्जा, आर्थिक पैकेज देने की मांग की जाएगी।
आयोग ने जाहिर की चिंता

इससे पहले रविवार को आयोग ने पंचायती राज संस्थाओं के वित्तीय प्रबंधन पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान जिला परिषदों में 1872 करोड़ रूपए और पंचायत समितियों में 1449 करोड़ रूपए खर्च ही नहीं हो पाए। इसके अलावा वर्ष 2017—18 में केवल 20 प्रतिशत पंचायती राज संस्थाओं ने ही अपने खातों का ठीक प्रकार संधारण किया। आयोग ने इस बात को भी गंभीरता से लिया कि पंचायतों को अब तक 23 में से 15 विषय ही सौंपे गए हैं। साथ ही, पंचायती राज संस्थाओं के लिए मॉडल अकाउंटिंग सिस्टम लागू करने पर भी जोर दिया। वित्त आयोग के दल ने स्थानीय निकायों में पारदर्शिता व कार्यक्षमता संवर्धन के मुद्दों को लेकर शहरी निकाय व पंचायत राज प्रतिनिधियों से अलग—अलग मुलाकात की। इस दौरान आयोग को बताया गया कि राज्य में स्थानीय शहरी निकायों को संविधान की 12 वीं अनुसूची के 18 में से 16 कार्य सौंपे जा चुके हैं और स्थानीय निकायों को जल आपूर्ति का कार्य सौंपने की प्रक्रिया जारी है। नगर आयोजना का कार्य सौंपा जाना शेष है। आयोग ने स्थानीय निकायों के पास करीब डेढ़ हजार करोड़ रुपए अनखर्चे पड़े होने के बारे में बताया गया कि इन निकायों में एक से अधिक बैंक खाते हैं, जिसके कारण पिछले वर्ष 1 हजार 652 करोड़ रूपए खर्च नहीं हो सके।
राजनीतिक दलों ने मांगा राज्य का हिस्सा

राजनीतिक दलों में कांग्रेस, भाजपा व वामपंथी दलों के प्रतिनिधियों ने रविवार को प्रदेश के विकास के लिए वित्त आयोग से अधिक से अधिक सहयोग मांगा। कांग्रेस की ओर से प्रदेश कांग्रेस सचिव सुशील आसोपा एवं सीए सेल के अध्यक्ष विजय गर्ग ने प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट की भावना से अवगत कराया। यह भी आग्रह किया सेस और सरचार्ज को केन्द्रीय करों के पूल में शामिल किया जाए। किसान कर्जमाफी, पूर्वी राजस्थान कैनाल परियोजना और ब्राह्मणी नदी से बीसलपुर को जोडऩे सहित अन्य नदी परियोजनाओं के लिए प्रदेश को विशेष सहायता दिलाने का आग्रह किया। डूंगरपुर-रतलाम, अजमेर-सवाईमाधोपुर, धौलपुर-गंगापुरसिटी रेल परियोजनाओं के लिए भी सहयोग मांगा, जिस पर आयोग अध्यक्ष सिंह ने विचार करने का आश्वासन दिया। भारतीय जनता पार्टी की ओर से पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत, विधायक रामलाल शर्मा व अन्य पदाधिकारियों ने पक्ष रखा। आयोग को बताया गया कि एफआरबीएम को तीन प्रतिशत रखने का प्रयास किया गया, लेकिन प्रदेश में बजट की समस्या है। जीएसटी के शुरुआती दौर में राजस्व भी कम आया। वित्त आयोग राज्य की विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सिफारिश करे, वहीं राज्य सरकार पूंजीगत निवेश पर जोर दे। इससे राजस्व घाटे में कमी लाई जा सकेगी।
निवेश से होगा विकास

आयोग ने अर्थशास्त्रियों, उपभोक्ता संगठनों, पंचायत राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर आर्थिक विकास से जुडे़ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। आयोग के अध्यक्ष एन के सिंह और सदस्यों ने अर्थ जगत से जुड़े विशेषज्ञों के साथ चर्चा के दौरान राजस्व घाटे में कमी करने को प्राथमिकता देने को कहा। आयोग ने कहा कि आपात खर्चों को ध्यान में रखते हुए वित्तीय प्रबंधन को सावधानी पूर्वक व्यवस्थित करने की जरुरत है।
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