
मुकेश शर्मा. रसूखदार के खिलाफ कार्रवाई करने से पुलिस और जांच एजेंसियां भी बचती हैं। ऐसा ही कुछ अंगों की खरीद फरोख्त करने वाली गैंग के खिलाफ कार्रवाई करने में देखने को मिल रहा है। हरियाणा पुलिस हो या फिर राजस्थान पुलिस गिरोह के एक भी दलाल व अन्य सदस्य को गिरफ्तार नहीं कर सकी।
हरियाणा पुलिस ने अंगों की खरीद फरोख्त मामले को उजागर कर देशभर में वाहवाही लूटी और कार्रवाई के नाम पर बांग्लादेश में मौत से जिंदगी जूझते हुए गिरोह के चंगुल में फंसकर किडनी लगवाने भारत आए मरीज और गरीबी के चलते किडनी बेचने को मजबूर डोनर को गिरफ्तार कर इतिश्री कर ली। जयपुर पुलिस ने भी स्वास्थ्य विभाग से मिली रिपोर्ट के बाद जवाहर सर्कल थाने में मामला दर्ज किया और फिर गुरुग्राम पुलिस ने जिन मरीज व डोनर को गिरफ्तार किया उन्हीं मरीज व डोनर को जेल से प्रॉडक्शन वारंट पर गिरफ्तार कर इतिश्री कर ली। जबकि इन मरीज और डोनर को चंगुल में फंसाने वाले एक भी दलाल और रसूखदारों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई।
एसीबी ने अंग प्रत्यारोपण मामले में एसएमएस हॉस्पिटल और फोर्टिस और ईएचसीसी हॉस्पिटल में रैकेट के लिए काम करने वाले सबसे छोटे पायदान वाले कार्मिकों को गिरफ्तार कर इतिश्री कर ली। एसीबी एसएमएस अस्पताल में सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह के आका तक नहीं पहुंची और गौरव सिंह को गिरफ्तार कर मामले में खानापूर्ति कर ली। इसके अलावा निजी हॉस्पिटल के चिकित्सकों को पूछताछ के लिए बुलाकर कई घंटे पूछताछ करने के नाम पर बैठाकर छोड़ दिया। एसीबी भी रैकेट में असली दोषियों तक नहीं पहुंच सकी या फिर रसूख के कारण जानबूझकर पहुंच नहीं पाई और जांच के नाम पर चुप बैठ गई। फर्जी एनओसी जारी करवाने के पीछे रैकेट में कौन-कौन लोग शामिल हैं, इसका खुलासा नहीं कर सकी।
राजस्थान पुलिस के साथ एसीबी भी रसूखदारों के खिलाफ कार्रवाई करने के नाम पर एसएमएस अस्पताल, फोर्टिस हॉस्पिटल, ईएचसीसी हॉस्पिटल व मणिपाल हॉस्पिटल से रिकॉर्ड जब्त करने तक सीमित रही है। हरियाणा पुलिस भी जयपुर तक पहुंची, लेकिन बिना किसी की गिरफ्तारी के बैरंग लौट गई।
Published on:
25 Apr 2024 11:00 am
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