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राजस्थान में एक दुकान ऐसी भी… जहां लगाई जाती थी ‘सरकारी नौकरी’, 15 लाख में थानेदार, 9 लाख में पटवारी….

राजस्थान के एक जिले में खुद सरकारी नौकरी करने वाले हनुमान ने सरकारी नौकरी लगाने की 'दुकान' खोल रखी थी। उसने हर भर्ती की रेट तय कर रखी थी।

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एसआई भर्ती प्रकरण में दो दिन पहले एसओजी की गिरफ्त में आए हनुमान मीना ने भर्ती परीक्षा के दौरान डमी अभ्यर्थियों की सरकारी फौज ही बना दी। मीना से पता चला कि सरकारी कार्यालयों में दूसरों से परीक्षा दिलवाकर नौकरी पाने वालों की फौज भरी है। अकेले हनुमान ने अभी तक सात भर्तियों में 16 डमी अभ्यर्थी बैठाना कबूल किया है। इनमें से 9 तो नौकरी कर रहे हैं।

खुद सरकारी नौकरी करने वाले टोंक के अलीगढ़ निवासी हनुमान ने टोंक व सवाई माधोपुर में नौकरी लगाने की 'दुकान' खोल रखी थी। उसने हर भर्ती की रेट तय कर रखी थी। जिस नौकरी में जितनी कमाई, उतनी ही उसकी फीस उसके पास हर परीक्षा पास करने वाले डमी कैडिडेट उपलब्ध थे। उपनिरीक्षक के लिए 15 लाख तो जेवीवीएनएल में हैल्पर के लिए वह 3 लाख रुपए लेता था । पटवारी के लिए नौ लाख रुपए तय कर रखे थे। इसी तरह ग्राम विकास अधिकारी और संगणक के नौ लाख रुपए, वन रक्षक (फोरेस्टर) के 7 लाख रुपए व लैब असिस्टेंट के 7 लाख रुपए तय कर रखे थे। यह डमी जालोर से लेकर आता था।

तब बच गया था…

पटवारी भर्ती के दौरान कोटा में परीक्षार्थी के स्थान पर डमी परीक्षा देते पकड़े गए। इस मामले में पुलिस ने राजस्व विभाग के कर्मचारी हनुमान मीना को पकड़ लिया था। उसे दो मामलों में गिरफ्तार किया लेकिन उसके पुराने राज उगलवाने में पुलिस विफल रही और वह कुछ दिनों में ही जमानत पर छूट गया।

साक्ष्य जुटाने के बाद आगे की जाएगी कार्रवाई- एसओजी

इस मामले में एसओजी के एडीजी वीके सिंह का कहना है कि पूछताछ में जिनके नाम सामने आए हैं, उनकी पड़ताल शुरू कर दी गई है। साक्ष्य जुटाने के बाद कार्रवाई आगे बढ़ाई जाएगी।

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