
जयुपर। राजस्थान स्टेट रोड डवलपमेंट कॉर्पोरेशन के अधीन आने वाले प्रदेश के 108 टोल अब संवेदकों को एक साल से अधिक की अवधि के लिए नहीं दिए जाएंगे। अभी टोल का टेंडर होता है तो वह दो साल के लिए होता है, लेकिन लगातार मिल रही शिकायतों के बाद राज्य सरकार ने टोल की नीति में यह बदलाव किया है। यदि किसी संवेदक को एक साल से अधिक अवधि के लिए टोल दिया जाता है तो वह भी अधिकतम तीन माह ही बढ़ाया जा सकेगा।
उप मुख्यमंत्री एवं सार्वजनिक निर्माण विभाग मंत्री दिया कुमारी की अध्यक्षता में बुधवार को आरएसआरडीसी बोर्ड बैठक में यह निर्णय किया गया। दिया कुमारी ने निर्देश दिए कि सभी टोल बूथों पर टोल वसूली फास्टैग से ही हो। जिन टोल केन्द्रों पर फास्टैग की सुविधा नहीं मिल रही, वहां भी यह सुविधा जल्द से जल्द शुरू की जाए। टोल प्लाजाओं पर श्रेणी वार टोल की दरों को प्रदर्शित करने के लिए बोर्ड भी लगाए जाएं।
ठेकेदार की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया समाप्त कर दी गई है, जिससे अधिक संख्या में संवेदक निविदा प्रक्रिया में भाग ले सकेंगे।
टोल की कॉन्ट्रेक्ट की अवधि 2 वर्ष से घटाकर 1 वर्ष कर दी गई है, जिसे अधिकतम 3 माह बढ़ाया जा सकेगा। नियमों की पालना नहीं करने पर रू 1 लाख प्रति गलती की पेनल्टी का प्रावधान रखा गया है। एनएचएआई में भी यही प्रावधान है।
स्टेट हाईवेज पर वे-साईड सुविधाएं जैसे रेस्टोरेन्ट एवं अन्य विकसित करने का तत्काल परिक्षण किया जाएगा।
Published on:
28 Aug 2024 08:34 pm
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