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बास्योड़ा आज: शीतला माता को लगाया पारंपरिक ठंडे पकवानों का भोग

लोक पर्व शीतला अष्टमी शुक्रवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

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जयपुर. चैत्र कृष्ण पक्ष में सप्तमी व अष्टमी को मनाए जाने वाला लोक पर्व शीतला अष्टमी आज हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। शहर में महिलाएं तड़के उठकर सीली शीतला ओ माय, सरवर पूजती घर आए… जैसे गीत गाती हुई शीतला माता को ठंडे पकवानों का भोग लगाने मंदिरों में पहुंची। महिलाओं ने पुए-पकोड़ी, पूड़ी, पापड़ी, हलुआ, राबड़ी, मक्का की घाट, मोहनथाल, गुंजिया, पेठे, सकरपारे आदि व्यंजनों का भोग लगाया। इसके बाद महिलाओं ने पत्थवारी पूजी। तड़के से ही शीतला माता के मंदिरों में महिलाओं का तांता लगना शुरू हो गया था। कई जगहों पर तो महिलाओं को पूजा के लिए अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा। शीतला माता के ठंडे पकवानों का भोग लगाने के बाद घरों में सभी लोगों ने परंपरा के अनुसार ठंडा भोजन किया। मान्यता के अनुसार, ऋतु परिवर्तन के समय शीतला माता का व्रत और पूजन करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि शीतला माता का सप्तमी एवं अष्टमी को पूजन करने से दाह ज्वर, पीत ज्वर, दुर्गंधयुक्त फोड़े, नेत्र रोग तथा ऋतु परिवर्तन से होने वाले रोग नहीं होते।

चाकसू में भरा मेला

शीतलाष्टमी पर चाकसू स्थित शील की डूंगरी में शीतला माता का मेला लगा। दूर दारज के अंचलों से आए श्रद्धालुओं ने माता को ठंडे पकवानों का भोग लगाया और परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। श्रद्धालु एक दिन पूर्व से यहां पहुंचना शुरु हो गए थे। मेले में जयपुर, दौसा,सवाई माधोपुर, टोंक जिले के बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। मेले में पुलिस व आरएसी के 400 से अधिक जवान सुरक्षा व्यवस्था में लगाए गए है। साथ ही सीसीटीवी कैमरों से भी असामाजिक तत्वों पर ध्यान रखा जा रहा है। श्री शीतला माता ट्रस्ट के अध्यक्ष कजोड़ प्रजापति व मंत्री लक्ष्मण प्रजापति ने बताया कि शीतला माता का मंदिर लगभग 300 फीट की ऊंचाई पर शील की डूंगरी पर स्थित है। मंदिर का निर्माण जयपुर के पूर्व महाराजा माधोसिंह ने करवाया था। इसके साथ ही नायला व चंदलाई में भी शीतला माता का मेला लग रहा है।

उद्यानों में लगे मेले

शीतला अष्टमी के दिन रामनिवास बाग सहित शहर के उद्यानों में मेले का सा माहौल रहा। रामनिवास बाग में शीतला अष्टमी पर लगने वाला परंपरागत मेला भरा। शहर व आस-पास के लोगों ने मेले का लुत्फ उठाया।गणगौर पूजने वाली युवतियां एवं बालिकाएं शाम को गीत गाते हुुए उद्यानों में पहुंचेगी। एवं बींद-बीणनी का स्वांग रच कर दोपहर बाद दूब के साथ जयघड़ लेकर लौटेंगी और गणगौर पूजन स्थल पर रखेगी। जय निवास उद्यान, नेहरू उद्यान, कनक वृंदावन सहित कॉलोनियों के पार्कों में दोपहर बाद बींद-बींदणी की बिंदौरी निकाली गई।