ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि त्रयोदशी तिथि के दिन शाम के समय शिवपूजन का खास महत्व बताया गया है। रात होने के पहले के इस समय को प्रदोष काल कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए यह व्रत बहुत अच्छा माना गया है। हर महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। त्रयोदशी का व्रत रखने पर चंद्रमा के बुरे प्रभाव को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है।
दरअसल व्यक्ति की मानसिक स्थिति चंद्रमा की अच्छी या बुरी स्थिति के अनुरूप अच्छी या खराब होती है। ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक दीक्षित बताते हैं कि कुंडली में चंद्रमा की स्थिति अच्छी हो तो शुक्र और बुध भी शुभ फल देने लगते हैं। चंद्रमा से जहां धन समृद्धि बढ़ती है वहीं शुक्र से स्त्री सुख प्राप्त होता है और ऐश्वर्य बढ़ता है. इसी प्रकार बुध से कारोबार में लाभ मिलता है।
खास बात यह है कि प्रदोष व्रत रखने से चंद्रमा के शुभ फलदायक बनने से दुर्भाग्य खत्म होने लगता है। इस दिन व्रत रखकर पूरे विश्वास से शिव पूजा करने पर सोया हुआ भाग्य जागने लगता है। शिवजी की प्रसन्नता और चंद्रदेव के आशीर्वाद से कुछ ही दिनों मेें जिंदगी पूरी तरह बदल जाती है।