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Tree Man Of India की कहानी पर बन रही है डॉक्यूमेंट्री, बना रही है डीडब्ल्यू जर्मन टीम

डीडब्ल्यू जर्मन टीम बना रही है यह डॉक्यूमेंट्री, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रखा था विष्णु लांबा का नाम ट्रीमैन

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Tree Man Of India की कहानी पर बन रही है डॉक्यूमेंट्री, बना रही है डीडब्ल्यू जर्मन टीम

Tree Man Of India की कहानी पर बन रही है डॉक्यूमेंट्री, बना रही है डीडब्ल्यू जर्मन टीम

सुरेंद्र बगवाड़ा, जयपुर

पौधे लगाने के लिए यूं तो केंद्र और राज्य सरकारें हर मानसून हजारों, लाखों संख्या की घोषणा करती है। संबंधित विभाग और आमजन आंकड़ों के लिए प्रयास भी करते है। लेकिन क्या आप जानते है कि एक व्यक्ति ही अभी तक लाखों पौधे लगा चुका होगा। वर्तमान में जयपुर में रहने वाली मूल टोंक जिले के निवासी 33 वर्षीय विष्णु लांबा ( Vishnu Lamba ) राजस्थान के कोने—कोने के साथ देश के कई राज्यों में 26 लाख पौधे रोप चुके है।

इनमें इनकी श्री कल्पतरू संस्थान, विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं और विभिन्न राज्य सरकारों के साथ यह आंकड़ा अचीव किया है। इसी अथक प्रयासों का नतीजा है कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ( pranav mukherjee ) ने उन्हें 'ट्रीमैन ऑफ इंडिया' के नाम दिया। इसलिए उन्हें राष्ट्रीय राजीव गांधी पर्यावरण पुरस्कार, अमृता देवी बिश्नोई पुरस्कार, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्र निर्माण पुरस्कार, ग्रीन आइडल अवॉर्ड सहित 100 से अधिक पुरस्कार हुए।

इसी सफलता पर बन रही है डॉक्यूमेंट्री

गांव में एक पौधा चोर के रूप में 27 साल पहले पर्यावरण संरक्षण का काम शुरू करने वाले विष्णु लांबा पर जर्मन के डीडब्ल्यू ग्रुप की ओर से डॉक्यूमेंट्री बनाई जा रही है। इसकी शूटिंग टोंक जिले बनास नदी, आगरा रोड, लांबा गांव, जालौर जिले, बाडमेर के चौहटन में हुई। यहां पर गांव के पास पानी से भरे तालाब के बीच बने टापू पर विष्णु नाव के लिए पौधे लेकर जाते हुए, पौधे लगाते हुए नजर आए। इसमें पूर्व और वर्तमान के पौधारोपण माहौल पर बातचीत की गई। विष्णु ने बताया कि डीडब्ल्यू टीम यह डॉक्यूमेंट्री बनाकर प्रणव मुखर्जी के नाम ही समर्पित करेगी।

जब छोटे भाई का कराया था पर्यावरणीय विवाह

विष्णु ने बताया कि छोटे भाई का पर्यावरणीय विवाह कराया गया। इसमें लड़की वालों ने ट्रैक्टर भरकर पौधे उपहार में दिए। उन्हें हमनें गांव में चारों तरफ रोपे। ग्रामीणों को वितरित किए। आज गांव में लाखों की संख्या में पौधे-पेड़ बन चुके है। इस अनोखी पहल को विदेशी अखबारों ने भी प्रकाशित किया। साथ ही चंबल के पूर्व दस्युओं को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ने की मुहिम चलाई, जिसे बीबीसी लंदन ने दिखाया।