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दो लाख महिलाओं के लिए ‘कुशल मंगल’

कहते हैं कि बच्चे को जन्म देना महिलाओं के लिए दूसरा जन्म लेने के बराबर होता है। अर्थात इसमें काफी विकटताएं होती हैं, जिससे गर्भवती महिलाओं के लिए हर पल खतरा बना रहता है। हर साल करीब 2 लाख महिलाएं एेसी ही विकटता से गुजरती हंै, जिसमें से कई महिलाएं काल का ग्रास बन जाती हैं।

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Moti ram

Jul 15, 2015

कहते हैं कि बच्चे को जन्म देना महिलाओं के लिए दूसरा जन्म लेने के बराबर होता है। अर्थात इसमें काफी विकटताएं होती हैं, जिससे गर्भवती महिलाओं के लिए हर पल खतरा बना रहता है। हर साल करीब 2 लाख महिलाएं एेसी ही विकटता से गुजरती हंै, जिसमें से कई महिलाएं काल का ग्रास बन जाती हैं।

एेसी जटिलताओं को कम करने के लिए प्रदेश में अब कुशल-मंगल कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्र में एेसी गर्भवती महिलाओं की पहचान कर उनकी प्रारम्भ काल से ही देखरेख शुरू कर दी जाएगी, जिससे मातृ मृत्यु दर में कमी आ सके।

एचआरपी में होगा पूरा रिकार्ड
एेसी गर्भवती महिलाओं में जिनमे गर्भकाल में जटिलता बनी रहने की आशंका है, उसको हाई रिस्क प्रेगनेन्सी रजिस्टर में इन्द्राज किया जाएगा।
इसमें गर्भवती महिलाओं के पंजीयन से लेकर समय-समय पर जांच एवं उपचार कराने की जिम्मेदारी संबंधित क्षेत्र की आशा सहयोगिनी एवं एएनएम की होगी। साथ ही प्रसव के समय उसको नियत समय पर चिकित्सालय तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी उसको दी गई है।

प्रसव होने के बाद जिम्मेदारी समाप्त नहीं होगी वरन उसको 7 वें, 28 वें एवं 42 वें दिवस पर विशेष फोलोअप करना होगा। जिसकी मॉनिटरिंग पीएचसी व सीएचसी केन्द्र के चिकित्सा अधिकारी प्रभारी की ओर से व्यक्तिगत तौर पर की जाएगी।

फोलोअप के दौरान किसी भी तरह के खतरे के लक्षण मिलने पर चिकित्सा संस्थान पर उपचार के लिए रैफर किया जाएगा एवं अगले गर्भकाल के मध्य कम से कम 3 वर्ष का अंतराल रखने के बारे में महिला को जानकारी दी जाएगी।

10 फीसदी महिलाओंं को रहता है संकट
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रारम्भ किए जा रहे कार्यक्रम में बताया गया है कि प्रदेश में हर साल 19 लाख 60 हजार से अधिक महिलाएं गर्भवती होती है तथा इसमें से करीब 10 फीसदी महिलाओं में जटिलताएं उत्पन्न होने की आशंका होती है। इसमें से भी लगभग 80 फीसदी प्रसूताओं को प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की ओर से समय रहते पहचान कर उनकी देखभाल की जा सकती है। लाखों महिलाओं को बचाने की कवायद में यह कार्यक्रम प्रदेश के 34 जिलों में एक साथ प्रारम्भ किया जा रहा है।

इस पर केन्द्रित होगा कार्यक्रम
नियोजित गर्भधारण
ट्रेकिंग एवं प्रबन्धन
फोलोअप
निश्चित रेफरल परिवहन सुविधा
योजनाबद्ध संस्थागत प्रसव
माता एवं शिशु की प्रसवोत्तर देखभाल

सुरक्षित रहेगा मातृत्व...
कुशल मंगल कार्यक्रम प्रारम्भ हो गया है एवं इसके तहत दी गई जिम्मेदारियों के बारे में स्वास्थ्य कार्मिकों को जानकारी दी जाएगी। इससे निश्चित तौर पर मातृ मृत्यु दर में कमी आएगी।
मनीषा चौधरी, जिला प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य अधिकारी