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जयपुर जैसे परकोटे वाली वास्तुकला में बसा है गुजरात का वडनगर, 6 भव्य द्वारों वाला प्राचीन नगर अब बन रहा आधुनिक पर्यटन केंद्र

Jaipur News: 40 फीट ऊंचे इन द्वारों में किसी भी प्रकार का धातु नहीं प्रयोग किया गया। साथ ही इन्हें बनाने में राजस्थान से लाए गए पत्थरों का उपयोग किया गया।

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फोटो: पत्रिका

Vadnagar UNESCO World Heritage: गुजरात का ऐतिहासिक नगर वडनगर इन दिनों देश-विदेश के शोधकर्ताओं और पर्यटकों का आकर्षण बन गया है। दिसंबर 2022 में इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में शामिल किया गया। इस कदम से शहर की ऐतिहासिक महत्ता को वैश्विक मान्यता मिली है। यूनेस्को द्वारा बताए गए मानकों के आधार पर संरक्षण और विकास के काम किए जा रहे हैं।

ह्वेनसांग ने यात्रा में किया उल्लेख

ऐतिहासिक महत्व वाला यह नगर अब आधुनिकता की ओर बढ़ रहा है। बदलाव की बयार यहां तेजी से बह रही है। पुराणों में वर्णित और सातवीं सदी के चीनी यात्री ह्वेनसांग के यात्रा-वृत्तांत में उल्लेखित यह नगर समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। पुराणों से लेकर संगीत की आत्मा तक शहर में बसी हुई है।

यहां की वास्तुकला मिलती है जयपुर से

वडनगर प्राचीन किले की दीवारों के भीतर बसा हुआ था, जिसमें छह भव्य द्वार थे। यह वास्तुकला जयपुर के परकोटे से काफी मिलती-जुलती है। नगर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में कीर्ति तोरण, बौद्ध मठ, हाटकेश्वर मंदिर, शर्मिष्ठा झील, प्रेरणा संकुल, एक्सपेरिमेंटल म्यूजियम और ताना-रीरी समाधि शामिल हैं।

कीर्ति तोरण: राजाओं की जीत का प्रमाण

वडनगर में दो कीर्ति तोरण हैं, जिन्हें सोलंकी राजाओं की विजय का प्रतीक माना जाता है। गाइड मलय त्रिवेदी के अनुसार, 40 फीट ऊंचे इन द्वारों में किसी भी प्रकार का धातु नहीं प्रयोग किया गया। साथ ही इन्हें बनाने में राजस्थान से लाए गए पत्थरों का उपयोग किया गया।