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दर्शकों ने सुंदर और प्राचीन मोलेला कला की बारीकियों को सीखा

द्वारका प्रसाद जांगिड़ द्वारा कावड़ कला पर ऑनलाइन सेशन 12 और 13 अगस्त को

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जयपुर

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Rakhi Hajela

Aug 11, 2021

दर्शकों ने सुंदर और प्राचीन मोलेला कला की बारीकियों को सीखा

दर्शकों ने सुंदर और प्राचीन मोलेला कला की बारीकियों को सीखा



जयपुर, 10 अगस्त। जवाहर कला केंद्र की ओर से आयोजित 'मोलेला कला' पर ऑनलाइन सेशन का समापन कलाकार जमना लाल कुम्हार ने मंगलवार को किया। सेशन में स्थानीय देवता देवनारायण की पारंपरिक टेराकोटा पट्टिका बनाने के स्टेप्स सिखाए। उन्होंने कला के रूप में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न उपकरणों और तकनीकों का भी प्रदर्शन किया और सेशन के बाद प्रतिभागियों के सवालों के भी जवाब दिए।
सेशन की शुरुआत कलाकार ने तैयार टेराकोटा के आटे को समतल करने के साथ की। उन्होंने आटे में छेद किए, जिससे कि आर्ट पीस पकाते समय टूटे नहीं। उन्होंने आटे की सतह को दबाने वाले उपकरण का उपयोग करते हुए वांछित आकार और मोटाई में समतल किया। उन्होंने कहा कि बेस हमेशा समतल होना चाहिए न कि कहीं से मोटा तो कहीं पतला। बेस को काटने और आकार देने के लिए एक चाकू जैसे उपकरण का उपयोग किया। कलाकार ने बेस की सतह को काटते समय पानी लगाकर चिकना किया गया।
कलाकार ने घोड़े पर सवार देवनारायण की मूर्ति बनाने का प्रदर्शन किया। उन्होंने पहले मिट्टी के छोटे.छोटे टुकड़ों से घोड़े का रूप तैयार किया। उन्होंने मिट्टी को पट्टिका के टेराकोटा बेस में समतल कर दिया। मिट्टी के टुकड़े को अवतल रूप में लगाया गया और कलाकार ने एक हाथ को अंदर रखते हुए दूसरे हाथ से आटे को बाहर की तरफ आकार दिया, जिससे की मिट्टी अंदर की तरफ चिपटी न हो। इस प्रकार की मोलेला कला को होलो स्टाइल के नाम से जाना जाता है। पानी का उपयोग समय.समय पर सतह को चिकना करने लिए किया जाता है। पानी मिट्टी को चिपकाने के रूप में भी कार्य करता है और विभिन्न आकार बनाने के लिए भी उपयोगी होता है। 12 और 13 अगस्त को दोपहर 3 बजे कलाकार द्वारका प्रसाद जांगिड़ कावड़ कला पर ऑनलाइन सेशन लेंगे।