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महाभारत के पांडव और द्रौपदी ने जहां बिताया अज्ञात वास…, जेठ के महीने में छाई सावन सी बहार, पर्यटकों के लिए अजूबा

महाभारत के पांडव और उनकी एक पत्नी द्रौपदी ने जिस जगह पर अज्ञात वास बिताया था, आज उस इलाके में हरियाली नजर आ रही है। जेठ के महीने में जहां, घास से लेकर पेड़ तक सूखे नजर आते हैं, विराटनगर की बीलवाड़ी घाटी में इसके सब उलट नजर आ रहा है।

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जयपुर

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Kamal Mishra

Jun 06, 2025

Beelwadi Valley

विराटनगर की बीलवाड़ी घाटी ( फोटो- पत्रिका)

जयपुर। महाभारत में जिस विराटनगर की चर्चा होती है, वह मौजूदा समय में जयपुर में ही है। प्रचंड गर्मी के महीने में जहां सबकुछ सूखे नजर आ रहे हैं, वहीं विराटनगर की हरियाली पर्यटकों का मन मोह रही है। जेठ के महीने में विराटनगर के चारों ओर पहाड़ों में सावन जैसी हरियाली छाई हुई है। बीलवाड़ी घाटी को देखने के बाद इधर से गुजरने वाले लोग आश्चर्य कर रहे हैं।

दरअसल, विराटनगर में प्रकृति जब रिझती है, तो उसका स्वरूप अप्रतिम होता है। चाहे वह जेठ की तपन हो या सावन की फुहार। ऐसा ही नजारा जेठ माह में भी विराटनगर के आसपास पहाड़ों और बीलवाड़ी घाटी में देखने को मिल रहा है। पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव के चलते बीते कुछ दिन से क्षेत्र में मौसम ने अचानक करवट ली है। आमतौर पर जेठ के महीने में जहां चिलचिलाती धूप और तेज गर्मी का प्रभाव रहता है । वहीं इस बार प्रकृति ने कुछ अलग ही रंग दिखाया है।

पर्यटकों के लिए अनोखा दृश्य

नौतपा में भी हुई हल्की से मध्यम वर्षा और ठंडी हवाओं के चलते विराटनगर सहित आसपास के इलाकों में सावन जैसी हरियाली छा गई है। यह दृश्य न केवल स्थानीय नागरिकों को राहत प्रदान कर रहा है, बल्कि यहां से गुजरने वाले लोगों और पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

बाग-बगीचे लहलहाए

बीते कुछ दिनों से पश्चिमी विक्षोभ के कारण विराटनगर में तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। दिन का अधिकतम तापमान सामान्य से 5 से 7 डिग्री सेल्सियस तक कम रहा, जबकि रात का तापमान भी आरामदायक बना हुआ है। इससे न केवल गर्मी से राहत मिली है, बल्कि खेतों और बाग-बगीचों में भी पेड़ पौधे के लिए जीवन का संचार हुआ है।

विराटनगर में हरियाली की चादर

विराटनगर के चारों ओर फैले पहाड़ी क्षेत्रों में जहां आमतौर पर इस समय सूखे का असर दिखाई देता था, वहां अब हरियाली की चादर बिछ गई है। जंगलों में हरियाली की चहक महसूस की जा सकती है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय हुई वर्षा फसलों के विकास के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकती है।

सुहावने मौसम से लोग आश्चर्यचकित

इस अप्रत्याशित हरियाली और सुहावने मौसम ने न केवल लोगों को गर्मी व तेज धूप से राहत दी है, बल्कि यह एक सकारात्मक संकेत भी है कि यदि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण किया जाए और जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से लिया जाए तो मौसम के स्वरूप में भी संतुलन संभव है।

इस साल आश्चर्यजनक बदलाव

ग्रामीणों का कहना है कि इस बार प्रकृति का अप्रत्याशित बदलाव आश्चर्यजनक है। जेठ के महीने में ऐसी ठंडी हवा और हरियाली पहले कभी नहीं देखी। ऐसा लग रहा है जैसे सावन आ गया हो। जून माह में मौसम में हुआ बदलाव किसानों के लिए फायदेमंद है। इससे फसल को लाभ मिलेगा। किसानों को आर्थिक फायदा भी होगा।

प्रकृति का बदलाव ग्रामीण कर रहे महसूस

किसान समुदाय को प्रकृति के इस बदलाव को अवसर के रूप में देखना चाहिए। प्रकृति के अवसर को देखते हुए वर्षा जल संचयन के प्रयास भी करने चाहिए।ताकि भविष्य में जल संकट से निपटा जा सके। प्रकृति का यह बदलाव लोगों के लिए सुखद अनुभव है। प्रकृति के इस बदलाव सभी ग्रामीण महसूस कर रहे हैं।

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