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भरतपुर मूर्ति विवाद में पिता-पुत्र आमने-सामने, मंत्री विश्वेंद्र की अपील, किसी के बहकावे में नहीं आए समाज

-मंत्री विश्वेंद्र सिंह और उनके पुत्र अनिरुद्ध सिंह के बीच लंबे समय से चली आ रही तनातनी एक बार फिर आई सामने, मंत्री विश्वेंद्र सिंह के बेटे अनिरुद्ध सिंह ने ट्वीट करके कहा, आज महाराजा सूरजमल और जाट सरदारी का अपमान हुआ है, भरतपुर के बैलारा में महाराजा सुरजमल और डॉ. अंबेडकर की मूर्ति लगाने को लेकर पिछले कई दिनों से चल रहा था विवाद

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जयपुर। भरतपुर के नदबई के बैलारा में महाराजा सूरजमल और डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा लगाने को लेकर चल रहे विवाद के बीच अब मंत्री विश्वेंद्र सिंह और उनके पुत्र अनिरुद्ध सिंह भी आमने-सामने हो गए हैं।

नदबई के बैलारा में महाराजा सूरजमल की प्रतिमा लगाने की बजाए डॉक्टर अंबेडकर की प्रतिमा लगाए जाने को लेकर मंत्री विश्वेंद्र सिंह के पुत्र अनिरुद्ध सिंह ने इसे महाराजा सूरजमल और जाट सरदारी का अपमान बताया है तो वही मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने एक पत्र जारी करके जाट समाज से अपील की है कि वो किसी भी लोगों के बहकावे में नहीं आएं। दरअसल नदबई के बैलारा में एक वर्ग डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा लगाना चाहता है तो दूसरा वर्ग भरतपुर के राजा रहे महाराजा सूरजमल की प्रतिमा लगाना चाहता है और इसी को लेकर विवाद चल रहा है।


मूर्ति विवाद को लेकर देर रात उपजे तनाव के बीच मंत्री विश्वेंद्र सिंह के पुत्र अनिरुद्ध सिंह ने ट्वीट करके इसे महाराजा सूरजमल और जाट सरदारी का अपमान करार दिया था। अनिरुद्ध सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा कि आज जिस तरह से महाराजा सूरजमल और जाट सरदारी का अपमान हुआ है वह शर्मनाक है, मैं किसी पार्टी या राजनीति में नहीं हूं, मैं सदैव अपने समाज के साथ था हूं और रहूंगा। आज दोपहर 1 बजे नदबई पहुंच रहा हूं।

मंत्री विश्वेंद्र ने की अपील, किसी के बहकावे में नहीं आएं
इधर महाराजा सूरजमल के वशंज और कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने भी एक पत्र जारी करके लोगों से अपील की है कि मैं जाट सरदारी से आह्नान करता हूं कि वह बड़ा दिल रखेंजो भी आप और आपके समाज को जातीय भेदभाव के लिए आरोपित करना चाहते हैं उनके प्लान को फेल कर दीजिए और किसी के बहकावे में नहीं आएं।

सूरजमल जिंदा होते तो यही चाहते हैं कि अंबेडकर की प्रतिमा लगे
मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने अपने पत्र में कहा कि मैं बैलारा और आसपास के समस्त गांव की सरदारी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि जिन्होंने महाराजा सूरजमल के प्रति अपनी-अपनी भावनाएं व्यक्त की और उनकी मूर्ति लगाने की मांग की है लेकिन एक प्रश्न यह भी है कि अगर आज महाराजा सूरजमल जीवित होते तो यह निर्णय लेना होता कि इस स्थान पर महाराजा के पूर्वज की मूर्ति लगे या एक कमजोर वर्ग से आने वाले महापुरुष की तो निश्चित रूप से महाराजा सूरजमल अपने पूर्वज की बजाए कमजोर वर्ग के महापुरुष को प्राथमिकता देते।

डहरा मोड़ पर लगेगी महाराजा सूरजमल की मूर्ति
मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि मैं महाराजा सूरजमल की मूर्ति नेशनल हाईवे पर स्थित डहरा मोड़ पर लगाउंगा। सूरज पूर्व में हो या पश्चिम में वो सूरज ही रहता है, उसका तेज, उसका उजाला उसकी उर्जा, उसका प्रताप कोई स्थान या दिशा पर निर्भर नहीं करता। महाराजा सूरजमल की मूर्ति जिस स्थान पर लगेगी उस स्थान का गौरव बढ़ेगा।

किसी भी कीमत पर जातीय विद्वेष और गतिरोध नहीं होने दूंगा
मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने अपने पत्र में कहा कि मैं आज कैबिनेट मंत्री नहीं बल्कि महाराजा सूरजमल के वंशज के रूप में उनकी विरासत की रक्षा के लिए फैसला ले रहा हूं। मेरे रहते मैं जाट और किसी अन्य वर्ग में किसी प्रकार का जातीय विद्वेष और गतिरोध नहीं होने दूंगा, यही मेरा धर्म है। महाराज सूरजमल की विरासत के साथ-साथ यह मेरी जिम्मेदारी है मैं उनकी रक्षा करूं जिनके लिए कोई ताकतवर नेता आवाज नहीं उठाता है।

पिछले कई दिनों से चल रहा है विवाद
दरअसल नदबई के बैलारा में महाराजा सूरजमल और अंबेडकर की मूर्ति लगाने को लेकर दो वर्गों में विवाद चल रहा है। इस मामले को लेकर कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह और नदबई से कांग्रेस विधायक जोगिंदर अवाना ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करके लोगों से संयम बरतने की अपील की थी।

वीडियो देखेंः- Bharatpur में प्रतिमा विवाद को लेकर हंगामा, पुलिस पर उपद्रवियों ने किया पथराव