7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Krishna Janmashtami: जन्माष्टमी पर राजस्थान के इस कृष्ण मंदिर में दर्शन करें, यहां हर भक्त बन जाता है सेठ!

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित सांवरिया सेठ मंदिर, आस्था और विश्वास का प्रमुख केंद्र है। इस बार सांवरिया सेठ मंदिर विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र रहेगा

3 min read
Google source verification
Sanwariya Seth

Krishna Janmashtami 2024: जयपुर। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित सांवरिया सेठ मंदिर, आस्था और विश्वास का प्रमुख केंद्र है। इस बार सांवरिया सेठ मंदिर विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र रहेगा। भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव पर देशभर में कृष्ण मंदिरों में भव्य आयोजन होंगे, लेकिन सांवरिया सेठ मंदिर की खासियत और मान्यता इसे एक अनोखा अनुभव बनाते हैं। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां जो भक्त जितना दान करता है, उसे उससे कई गुणा अधिक फल प्राप्त होता है। यही कारण है कि जन्माष्टमी के अवसर पर यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

राजस्थान का चमत्कारी कृष्ण मंदिर

जन्माष्टमी पर छुट्टी का लाभ उठाते हुए बहुत से लोग धार्मिक स्थलों की यात्रा की योजना बनाते हैं। यदि आप इस बार कृष्ण मंदिर की यात्रा का मन बना रहे हैं, तो सांवरिया सेठ मंदिर आपके लिए एक दिव्य और चमत्कारी अनुभव हो सकता है। चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित इस मंदिर की मान्यता है कि यहां दान करने पर भक्तों को कई गुना अधिक प्राप्ति होती है, और यही कारण है कि जन्माष्टमी पर यहां भक्तों की भीड़ खासतौर पर बढ़ जाती है।

यह भी पढ़ें : जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल को लगाएं ये विशेष भोग-खुश हो जाएंगे कान्हा! जानें ज्योतिषी से सब कुछ

सांवरिया सेठ मंदिर की भौगोलिक स्थिति

सांवरिया सेठ मंदिर चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन से करीब 41 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। राजस्थान की राजधानी जयपुर से 338 किलोमीटर और उदयपुर से 74 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर के निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर में है। इस मंदिर की खासियत इसे देशभर में चर्चित बनाती है और यहां तक पहुंचने के लिए भक्त बड़ी दूर-दूर से आते हैं।

सांवरिया सेठ मंदिर का इतिहास और महत्व

सांवरिया सेठ मंदिर का इतिहास भी अत्यंत रोचक है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी के आसपास किया गया था। एक मान्यता के अनुसार, 1840 के आसपास भोलाराम गुर्जर नाम के एक ग्वाले ने यहां श्रीकृष्ण की मूर्ति देखी थी, जिसके बाद इस स्थान पर पूजा-पाठ शुरू हो गया। यह मंदिर भक्तों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया।

यह भी पढ़ें :  चाकूबाजी घटना के बाद दो केंद्रीय मंत्री आज आएंगे उदयपुर, जानें क्यों?

दान की अद्भुत परंपरा

इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां दान करने वाले को उससे कई गुना अधिक फल मिलता है। हाल ही में, मंदिर के दानपात्र को खोला गया था, जिसमें गिनती करने में लगभग 5 दिन लगे। दानपात्र में पैसे के अलावा सोना और चांदी भी बड़ी मात्रा में निकलते हैं, जो इस मंदिर की अद्भुत परंपरा और भक्तों की आस्था को दर्शाता है।

जन्माष्टमी का पर्व

जन्माष्टमी के अवसर पर यह मंदिर पूरी तरह से सज जाता है और यहां विशेष कीर्तन एवं भजन का आयोजन होता है। राजस्थान के विभिन्न शहरों से लोग इस मौके पर सांवरिया सेठ के दर्शन करने आते हैं। इस पवित्र मंदिर में जन्माष्टमी के दौरान भक्तों का उमड़ा जनसैलाब इस बात का प्रमाण है कि यह स्थान न केवल धार्मिक, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संवर्धन का भी प्रमुख केंद्र है। सांवरिया सेठ मंदिर का दौरा करके भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति का परिचय देते हैं और दान के माध्यम से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।