
जयपुर. जल जीवन मिशन (जेजेएम) में हुए भ्रष्टाचार में एसीबी, ईडी व सीबीआइ सक्रिय है, जिसमें विभाग के आला अधिकारियों के लेकर पूर्व मंत्री तक जांच के दायरे में हैं। करोड़ों के भुगतान का यह फर्जीवाड़ा अनुभव प्रमाण पत्र और फर्जी कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र के आधार पर हुआ है। सभी एजेंसियों के सक्रिय होने के बाद खुद विभाग ने इन फर्जी प्रमाण पत्रों को लेकर एफआइआर दर्ज करवाई थी। इस एफआइआर के करीब एक साल बाद भी शहर पुलिस मामले की गुत्थी नहीं सुलझा पाई है। अभी तक पुलिस की जांच किसी नतीजे तक नहीं पहुंची है।
यह एफआइआर जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) ने गत वर्ष बजाज नगर थाने में इर्ज करवाई थी। मामला विभाग के अधिकारी अजय सिंह राठौड़ की ओर से दर्ज कराया गया था। इसमें बताया कि जयपुर के खोह-नागोरियान क्षेत्र में बीसलपुर से पेयजल उपलब्ध कराने के लिए परियोजना स्वीकृत की गई थी। इसके लिए गणपति ट्यूबवैल कंपनी, शाहपुरा को 24 अप्रेल 2023 को निविदा जारी की गई। काम जारी रखने के दौरान ही फर्म की ओर से फर्जी कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र विभाग में जमा कराया गया। एफआइआर में दावा किया गया कि, इसकी पुष्टि शासन उप सचिव जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की अध्यक्षता में गठित जांच समिति की रिपोर्ट में भी हुई।
ईडी ने पेश की चार्जशीट, पुलिस बयान तक सीमित
जेजेएम में यह भ्रष्टाचार इरकॉन इंटरनेशनल नाम की फर्म के फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र के आधार पर हुआ। इसके आधार पर जल जीवन मिशन में कई शहरों में काम का जिम्मा विभिन्न कम्पनियों ने ले लिया। ईडी ने इस मामले में ठेकेदारों के साथ और गिरफ्तारियां भी की है। मामले में चार्जशीट भी पेश की गई है। यह चार्जशीट मनी ट्रेल मामले को लेकर की गई है। जबकि आपराधिक मामले की जांच में बजाज नगर थाना पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर पाई। विभाग ऐसे कई कार्य आदेश निरस्त कर चुका है, जो इसी फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर जारी किए गए थे।
Published on:
15 Sept 2024 02:03 pm
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