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गर्मी के साथ है आई मीठे तरबूजों की बहार

मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए भी किसान तरबूज की खेती करते हैं। इसकी खेती के लिए लगभग 25 से 32 डिग्री सेल्सियस तापमान और रेतीली दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है।

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बाजार में मीठे तरबूजों की बहार आई हुई है। लालसोट (दौसा) क्षेत्र के भांवता, धौली, पालून्दा, मंजपुरिया, अलीपुरा, रामपुरा, कोलीवाडा़, खेमपुरी, हामावास, राहूवास सहित दर्जनों गांव में किसान तरबूज व खरबूजा सहित विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती कर लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं।

रेतीली दोमट मिट्टी में अच्छी पैदावार
मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए भी किसान तरबूज की खेती करते हैं। इसकी खेती के लिए लगभग 25 से 32 डिग्री सेल्सियस तापमान और रेतीली दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है।

प्रति बीघा दो लाख रुपए का मुनाफा
किसानों ने बताया, अप्रैल महीने में आने वाले तरबूज की खेती जनवरी-फरवरी में शुरू हो जाती है। लो- टनल एवं सरकण्डे लगाकर पौधों को कड़ाके की ठंड से बचाया जाता है। ड्रिप सिस्टम से सिंचाई करते हैं। एक बीघा में लगभग दो लाख रुपए तक की आय प्राप्त हो जाती है।

समय-समय पर दवा का छिड़काव जरूरी
तरबूज की फसल रोपाई के तीन से चार महीने के बाद काटी जा सकती है। इसकी फसल कम समय, कम खाद और कम पानी से ही तैयार हो जाती है। समय- समय पर कीट-रोग नियंत्रण दवा का छिड़काव करना चाहिए। क्षेत्र में लगभग 250 बीघा भूमि पर तरबूज, खरबूजे व सब्जियों की खेती की जा रही है। फसल चक्र के रूप में भी बागवानी करना फायदेमंद होती है

-कृषि अधिकारी अशोक कुमार मीना

-महेशबिहारी शर्मा