
women safty
जयपुर.बस में तो और भी महिलाएं हैं उनको कोई दिक्कत नहीं है तो तुमको क्यों हो रही है। मैं सीट से नहीं उठूंगा जो करना है कर लो...यह बात उस पुरुष यात्री ने महिला रिपोर्टर से कही जो महिला सीट पर कब्जा जमाए बैठा था। यह तो महज एक वाकया था। शहर में चल रही लो फ्लोर बसों ने ज्यादातर महिला यात्रियों को यही जबाव मिलता है, जब वो महिला सीट पर अपना अधिकार बताते हुए पुरुष यात्री को उठने के लिए कहती है। यही नहीं बस कंडक्टर महिलाओं को उनकी आरक्षित सीट दिलाने के प्रयास भी नहीं करते।
यही वजह है कि महिलाओं के लिए बस में सफर करना आसान नहीं है। इस सफर के दौरान महिलाओं को असहजता और अभ्रद व्यवहार का समाना करना पड़ता है। वहीं महिलाओं के लिए बसों में सफर करना कितना सुरक्षित है। इसकी पड़ताल के लिए राजस्थान पत्रिका की टीम ने सोमवार को भी लो फ्लोर बसों में सफर किया। जिसमें कई सारे तथ्य सामने आए। जैसे- लो -फ्लोर बस में आरक्षित महिला सीट पर पुरुषों का बैठना हो या फिर लोगों की गंदी निगाहों से देखने का टॉर्चर झेलना हो। बस में चढऩे से लेकर बस से उतरने तक रोजाना महिलाएं इस तरह के टॉर्चर को सहना पड़ता है। सफर के दौरान सामने आया कि जब तक महिलाएं खुद के अधिकार के लिए आवाज नहीं उठाएंगी तब तक उनके साथ ऐसा ही होता रहेगा।
बस कंडक्टर ने किया अनसुना
दोपहर के 3 बजे
टोंक फाटक से रिद्धि-सिद्धि तक सात नंबर बस का सफर तय किया। बस में इतनी भीड़ थी कि खड़ा होने के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं थी। जैसे ही स्टॉपेज बस के ब्रेक लगते अपने आप को भी संभालना मुश्किल हो रहा था और यात्री एक-दूसरे पर गिर रहे थे। ऐसी भी में एक महिला का सफर करना बहुत मुश्किल है। इसलिए रिपोर्टर अपने आप को सुरक्षित करने के लिए महिला सीट पर बैठे पुरुष यात्री को उठाने के लिए बस कंडक्टर को कहा तो कंडक्टर ने कहा कि पहले आप बात करो। रिपोर्टर ने पुरुष यात्री ने सीट से उठने के लिए मना कर दिया। जब इस बारे में रिपोर्टर ने बस के कंडक्टर से कहा तो कंडक्टर ने रिपोर्टर की ओर देखा लेकिन कुछ नहीं किया। जब रिपोर्टर ने दोबारा कहा तो कंडक्टर ने आवाज को अनसुना कर बस यात्रियों को टिकट देने लगा।
सहयात्रियों ने भी नहीं दिया साथ
जब महिला रिपोर्टर पुरुष यात्री को महिला आरक्षित सीट से उठने के लिए कह रही थी और पुरुष यात्री उस पर गुस्सा कर रहा तो सहयात्रियों ने रिपोर्टर का साथ नहीं दिया। इतना ही नहीं महिला यात्री भी एक महिला के अधिकार के लिए नहीं बोली। वहीं बस में यात्रा कर रहे लड़के इस वाकाया पर हस रहे थे।
असहजता के कारण स्टॉप से पहले उतारना पड़ा
साढ़े तीन बजे
रिद्धि-सिद्धि से लालकोठी जाने के लिए रिपोर्टर बस नंबर सात में चढ़ी। जैसे-जैसे रिपोर्टर आगे बढ़ी भीड़ इतनी थी कि वह आगे बढ़ी नहीं पा रही थी। किसी ने भी उसे सुरक्षित जगह देने की कोशिश नहीं की उसे मजबूरन भीड़ में लोगों के साथ खड़ा रहना पड़ा, इस दौरान उसे काफी असहजता हुई। भीड़ होने के कारण लोग बार-बार धक्का मार रहे थे। जिस वजह से रिपोर्टर लालकोठी से पहले ही उतर गई।
कुछ में खुली तो कुछ से गायब शिकायत पेटी
बस में हुई असुविधा की शिकायत के लिए बस में ड्राइवर के सीट के पीछे एक शिकायत पेटी लगी होती है। जब इस बात का जायजा लिया गया तो कई बसों की शिकायत पेटी का दरवाजा खुला पड़ा था, तो कुछ से शिकायत पेटिका गायब मिली।
ये रही समस्याएं
-खुली पड़ी शिकायत पेटिका
-कंडक्टर महिला सीट दिलाने का नहीं करते प्रयास
-महिलाओं के खड़े रहने के लिए भी नहीं सुरक्षित जगह
-भीड़ वाली बस में पुरुष सहयात्री बनते असहजता की वजह
Published on:
29 Jun 2018 03:05 pm
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