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महिलाएं भी चाहती हैं महंगाई और असुरक्षा से मुक्ति

टॉक शो: बजट पर बेबाक बोली महिलाएं व युवतियां

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DeenDayal Sharma

Feb 21, 2016

घर के चूल्हे-चौके से लेकर तमाम आर्थिक जरुरतों के प्रबंधन की मुख्य धुरी महिलाओं ने भी प्रदेश और देश के आम बजट से बहुत सारी अपेक्षाएं बांधी हैं। राजस्थान पत्रिका की ओर से रविवार को पत्रिका कार्यालय में आम बजट को लेकर महिलाओं एवं युवतियों को मंच दिया, तो उन्होंने सरकार से पूरा अवसर मांगा। कुल बजट का 0 फीसदी हिस्सा सिर्फ और सिर्फ महिलाओं को ध्यान में रखते हुए समर्पित करने की मांग रखी।
बालिका शिक्षा पर करें फोकस
निजी विद्यालय की शिक्षिका नफीसा पत्थरवाला ने कहा कि बजट में बालिका शिक्षा पर विशेष फोकस होना चाहिए। बालिका शिक्षा उन्नयन के लिए घर, समाज स्तर पर सर्वे कर एक-एक बालिका को हाई एज्यूकेशन देने के पुख्ता प्रयास होने चाहिए।
मिले सुरक्षित माहौल
भव्या भावसार ने कहा कि बढ़ती आपराधिक गतिविधियों के कारण महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस करती है। लड़कियां स्कूल-कॉलेज जाएं तो भी और महिलाएं कामकाज के लिहाज से घर से बाहर निकले तब भी उनमें असुरक्षा का भाव रहता है। ऐसा माहौल बने कि महिलाएं बिना किसी डर के आ-जा सकें।
जीडीपी में बढ़े हिस्सेदारी
निजी शिक्षण संस्थान की प्राचार्य नूतन जैन ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद में महिलाओं की हिस्सेदारी कम है। ऐसे अवसर विकसित हों, जिनसे महिलाएं जीडीपी ग्रोथ में अपनी भूमिका निभा सके। महिलाओं के सर्वांगीण विकास के लिए बजट में पृथक से कोटा तय हो। सुरक्षा एवं आवागमन के लिए अलग से परिवहन की व्यवस्था हो। सब्सिडी से जुड़ी औपचारिकताएं सरल और सहज होनी चाहिए।
सोच बदलने की जरूरत
गृहिणी प्रभा टेलर ने कहा कि मध्यमवर्गीय परिवार की महिलाएं दोहरी मानसिकता के साथ जीवन व्यापन करती हैं। सामाजिक, राजनीतिक स्तर पर महिलाओं के प्रति सोच में बदलाव आना चाहिए। महिलाओं को आर्थिक स्वालम्बन की राह पर अग्रसर करने बेहतर प्रबंधन सरकार स्तर पर तय हो। इससे महिलाएं खुद के पैरों पर खड़ी हो सके।
पांच लाख तक विशेष सब्सिडी
ब्यूटीशियन मीना बलवानी ने कहा कि आर्थिक स्वालम्बन की बात की जा रही है। पर, सरकारें आम मध्यमवर्गीय परिवारों से सुविधा छीन रही है। सब्सिडी खत्म हो रही है। प्रयास यह हो कि पांच लाख तक सालाना आय वाले परिवारों को हर तरह की विशेष छूट मिले। अधिक आय वाले परिवारों से कर वसूली के साथ सब्सिडी का लाभ नहीं दिया जाए। इससे मध्यमवर्गीय परिवार भी आर्थिक मजबूत होंगे।
मूलभूत वस्तुएं टेक्स फ्री
गृहिणी भावना उपाध्याय ने कहा कि आम इंसान से जुड़ी प्रत्येक वस्तु दाल, चीनी, खाद्य सामग्री पर किसी प्रकार का टेक्स नहीं लगाना चाहिए। इसकी भरपाई धू्रमपान से जुड़ी वस्तुओं से निकालनी चाहिए। सरकार को बजट में जनजाति उपयोजना क्षेत्र में खासकर आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए मूलभूत वस्तुओं को रियायती दर पर टेक्स फ्री कर देनी चाहिए।
रोजगारपरक शिक्षा के प्रयास
निजी विद्यालय की शिक्षिका जैनब ने कहा कि हमारी शिक्षा रोजगारपरक होनी चाहिए। हमारी पढ़ाई स्वालम्बी नहीं बना सकती है। स्कील डवलपमेंट पर जोर देने की जरूरत है। बच्चियों को पढ़ाने की प्रति सामाजिक एवं प्रशासनिक स्तर पर जागरुकता लाने व ऑनलाइन एज्यूकेशन की आवश्यकता है। सरकारी स्कूलों में गुणवत्तायुक्त शिक्षण की व्यवस्था हो।
वैट कम होना चाहिए
गृहिणी कल्पना जैन ने कहा कि वैट कम होना चाहिए। पेट्रोलियम पदार्थों के दाम कम होंगे, तो महंगाई कम होगी। महिलाओं के साथ चेन स्नैचिंग सहित अन्य आपराधिक घटनाएं हो रही हैं। महिला पुलिस बल बढऩा चाहिए। महिला पुलिस बल नहीं के बराबर दिखाई देता है। वागड़ में ही अच्छी शिक्षा मिले।
सतत चलें हॉबी क्लासेस
ब्यूटीशियन कविता कामरा एवं ट्यूशन सेंटर संचालिका रिया थदानी ने कहा कि सरकार को सेल्फ डिपेंडेट कोर्स लागू करने चाहिए। हॉबी क्लासेज सतत् चलने चाहिए। जॉब ओरिएटेंट एज्यूकेशन व्यवस्था होनी चाहिए। रेल बजट में उदयपुर-अहमदाबाद आमान परिवर्तन एवं डूंगरपुर-रतलाम वाया बांसवाड़ा रेल लाइन का कार्य जल्द होना चाहिए।
बेहतर शिक्षा की व्यवस्था
अधिवक्ता श्वेता जैन एवं ट्यूशन संचालिका अंकिता शाह ने कहा कि डूंगरपुर में अच्छी एज्यूकेशन की व्यवस्था होनी चाहिए। कौशल दक्षता की तरफ ध्यान देने की जरूरत है। महिलाओं के आर्थिक विकास के लिए बजट में विशेष प्रावधान होने चाहिए। महिला प्रशिक्षणों में महिला प्रशिक्षक ही लगाए जाने चाहिए।