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World Mental Health Day 2025: तनाव की गिरफ्त में राजस्थानी, हर पांचवा ‘मन’ बीमार, चौंका देगी कड़वी हकीकत

मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2025: मेंटल हेल्थ का सबसे बड़ा कारण काम नहीं बल्कि काम को लेकर तनाव, परफार्मेंस और उससे जड़ी आपकी इमेज है। क्या कहेंगे लोग... यही सोचकर 70% लोग तनाव में आकर काम खराब कर लेते हैं।

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जयपुर

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Savita Vyas

Oct 10, 2025

तनाव की गिरफ्त में राजस्थान के लोग

तनाव की गिरफ्त में राजस्थान के लोग

अरुण कुमार

जयपुर। राजस्थान में मेंटल हेल्थ (मानसिक स्वास्थ्य) अभी भी एक अबूझ और उपेक्षित विषय है। लोग इसे केवल अच्छी नींद या तनावमुक्त दिनचर्या से जोडक़र ही देखते हैं। हालांकि मनोवैज्ञानिक मेंटल हेल्थ को शारीरिक स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति और पारिवारिक सुख का अहम कारण मानते हैं। मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, राजस्थान के नोडल अधिकारी डॉ. प्रदीप शर्मा के अनुसार राज्य में 20% से अधिक वयस्क किसी न किसी रूप में मेंटल हेल्थ से पीडि़त हैं। राजस्थान में अलग अलग जिलों मे हुए मानसिक स्वास्थ्य सर्वे 2024 की मानें तो 40% पुलिसकर्मी, 38 फीसदी व्यापारी-दुकानदार, 35% कामकाजी महिलाएं तनाव में हैं। डॉक्टरों में यह आंकड़ा 30%, खिलाडिय़ों में 25% और स्कूली बच्चों में 20% तक है। शिक्षकों में तनाव 28%, जबकि विधायक-मंत्रियों में यह 22% तक देखा गया। गोपनीयता चलते न्यायाधीशों का आंकड़ा सार्वजनिक नहीं किया गया लेकिन अनुमानित तौर पर 15-20% तक तनाव की स्थिति उनमें भी पाई गई। आदर्श रूप से मेंटल हेल्थ का स्तर 85-90% होना चाहिए, जो कि स्वस्थ और उत्पादक समाज का सूचक है।

मानसिक स्वास्थ्य क्यों जरूरी
मेंटल हेल्थ न केवल व्यक्तिगत कल्याण, बल्कि परिवार, समाज और देश के लिए भी महत्वपूर्ण है। स्वस्थ मानसिकता उत्पादकता बढ़ाती है, रिश्तों को मजबूत करती है और सामाजिक सद्भाव को समृद्ध करती है। मनोचिकित्सकों का मानना है कि तनावग्रस्त व्यक्ति काम को जल्द से जल्द निपटाता है ऐसे में वह अपनी प्राथमिकताओं को भूल सकता है और गलती पर बदले की भावना से भर जाता है। जैसे तनावग्रस्त पुलिसकर्मी की चूक कानून व्यवस्था को प्रभावित कर सकती है। इसी तरह वकील, पत्रकार, कामकाजी महिलाओं, शिक्षकों आदि पर भी प्रभाव पड़ सकता है। स्कूली बच्चों में मानसिक तनाव शैक्षणिक प्रगति को बाधित करता है।

खराब मेंटल हेल्थ के लक्षण

  • व्यक्ति वर्तमान से दूर अतीत या भविष्य में जीता है।
  • अचानक उग्र होकर असामान्य व्यवहार करना।
  • भ्रम, आशंका या शक की गुंजाइश ज्यादा होना।
  • बात बात में चेहरे का भाव व रंग बदल जाना।
  • आचनक से कुछ आवाजे सुनाई देने की आशंका।
  • मकान लॉक करने के बाद वापस ताला चेक करना।
  • बायोमेट्रिक हाजिरी के कुछ देर बाद फिर थंब लगाना।

कैसे सुधरे मानसिक स्वास्थ्य
जागरूकता अभियान : स्कूलों, कार्यस्थलों और समुदायों में मेंटल हेल्थ जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएं।
क्लीनिक की स्थापना : प्रत्येक जिले में मेंटल हेल्थ क्लीनिक स्थापित किए जाएं।
काउंसलिंग सेवाएं : पुलिस, पत्रकार और डॉक्टरों जैसे उच्च तनाव वाले पेशों के लिए अनिवार्य काउंसलिंग।
हेल्पलाइन का विस्तार : राजस्थान की मानसन्वाद हेल्पलाइन को और प्रभावी बनाया जाए।
प्रशिक्षण : प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मानसिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण को शामिल किया जाए।


अलग से बजट बनाना जरूरी
मेंटल हेल्थ का सबसे बड़ा कारण काम नहीं बल्कि काम को लेकर तनाव, परफार्मेंस और उससे जड़ी आपकी इमेज है। क्या कहेंगे लोग… यही सोचकर 70%लोग तनाव में आकर काम खराब कर लेते हैं। राजस्थान में कुछेक मेडिकल कालेजों को छोडक़र सभी जगह मानसिक स्वास्थ्य की सुविधाएं हैं। सरकार से मांग की गई है कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए अलग से बजट दिया जाए ताकि मेंटल हेल्थ पर पूरी तरह फोकस किया जा सके। उम्मीद है कि जल्द ही सभी मेडिकल कालेजों में मनोवैज्ञानिकों की भी नियुक्ति की जाएगी क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य काफी हद तक मनोवैज्ञानिक ही है।

  • डॉ ललित बत्रा, अधीक्षक, मेंटल हॉस्पिटल, जयपुर