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World Stroke Day 2023: हर 3 मिनट में एक व्यक्ति आता है ब्रेन स्ट्रोक की चपेट में, सर्दियों में 30-40% बढ़ जाते हैं मामले

World Stroke Day 2023: आकड़ों के अनुसार, भारत में हर तीन मिनट में एक व्यक्ति ब्रेन स्ट्रोक (लकवा) की गंभीर चपेट में आता है। अन्य मौसम की तुलना में सर्दियों में इसके मामले 30-40% तक बढ़ जाते हैं।

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World Stroke Day 2023: आकड़ों के अनुसार, भारत में हर तीन मिनट में एक व्यक्ति ब्रेन स्ट्रोक (लकवा) की गंभीर चपेट में आता है। अन्य मौसम की तुलना में सर्दियों में इसके मामले 30-40% तक बढ़ जाते हैं। सर्दी के दिनों में दिमाग की नसों में सिकुड़न से दबाव पड़ने पर ये नसें फट जाती है। ब्रेन स्ट्रोक और हेमरेज हो जाता है।

मुख्य कारण
हाई ब्लड प्रेशर: जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर की समस्या रहती है, उनमें ब्रेन अटैक की आशंका दो गुने से अधिक हो जाती है। इससे दिमाग की नसें तक फट जाती हैं।

डायबिटीज: डायबिटीज ज्यादा होने से सेल्स पर असर पड़ता है। ऐसे लोगों में न केवल ब्रेन अटैक ज्यादा होता, बल्कि होने के बाद रिकवरी की आशंका भी कम होती है। रिकवरी कम होने पर अपंगता का खतरा बढ़ता है। इसलिए डायबिटीज रोगियों को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है।

स्मोकिंग या अल्कोहल की आदत: जो लोग धूम्रपान करते हैं यानी बीड़ी-सिगरेट की आदत है तो उनका बीपी बढ़ जाता है। ब्लड में कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। अल्कोहल लेने वालों का खून भी गाढ़ा हो जाता है। इससे अटैक की आशंका रहती है।
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मोटापा और फैटी चीजें ज्यादा खाना: जिनका वजन ज्यादा है या बाहरी फैटी चीजें ज्यादा खाते हैं, उनमें भी इसका रिस्क बढ़ जाता है। हाई कोलेस्ट्रॉल नसों पर दबाव को बढ़ाता है।

व्यायाम न करना: जो लोग व्यायाम नहीं करते हैं, ऐसे लोगों में कोलेस्ट्रॉल और लिपिड की समस्या होती है। इनमें भी ब्रेन अटैक की आशंका अधिक हो जाती है।

ऐसे करें बचाव
लाख के करीब हर वर्ष अपने देश में ब्रेन स्ट्रोक के मामले आते हैं। मृत्यु का दूसरा कारण भी।
सेकंड में एक ब्रेन अटैक के मामले देश में रिपोर्ट हो रहे हैं।

जल्दी से जल्दी हॉस्पिटल ले जाएं
इसके मरीज को जितनी जल्दी हो सके हॉस्पिटल ले जाएं। रिकवरी की संभावना बढ़ती है। पहले 4.5 घंटे (गोल्डन आवर्स) इलाज के लिए अत्यधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं। इलाज के लिए डॉक्टर सीटी, एमआरआइ जैसी जांचें करवाते हैं। जिन मामलों में रक्त का थक्का बना होता है तो काफी संभावना रहती है कि उसका निदान दवाओं से हो जाए। लेकिन धमनी फटने से रक्त मस्तिष्क के किसी भाग में जमा हो जाता है तो सर्जरी की जरूरत पड़ती है। नई तकनीक में बिना चीर-फाड़ के भी सर्जरी होती है।
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संभावित लक्षण
अचानक से चेहरा टेढ़ा होना, शरीर के एक हाथ-पैर में ताकत कम होना, हाथ ऊपर उठाने व चलने में परेशानी, चलते समय व्यक्ति का पैर फर्श पर खीचकर चलना आदि। इसके साथ ही शरीर का शिथिल होना, बोलने में कठिनाई, घबराहट व सांस लेने की परेशानी, तेज सिरदर्द, एक तरफ चेहरे में सुन्नता, कमजोरी के साथ भ्रम की स्थिति, धुंधलापन दिखना, जी मिचलाना या उल्टी जैसे संकेत भी इसके लक्षण हैं।