नियम-कायदे तो हैं, पालना कौन करवाए?- एक दिन पहले सेना के कैंप तक सैन्य वेश में पहुंचा था संदिग्ध
जैसलमेर. अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अवस्थित सीमांत जैसलमेर जिला सुरक्षा के लिहाज से सदैव संवेदनशील माना जाता है लेकिन जिस तरह से बाजार में सेना, सीमा सुरक्षा बल और पुलिस आदि बलों की ड्रेस या उससे बहुत हद तक मिलता-जुलता कपड़ा खुले आम बेचा जा रहा है। वहीं ऑनलाइन शॉपिंग वाली साइट्स और प्लेटफार्म पर भी सैन्य वर्दी जैसा दिखाई देने वाले कपड़े बिक रहे हैं। जबकि इस संबंध में पिछले सालों के दौरान नियम-कायदे बनाए जा चुके हैं। विशेषकर कुछ साल पहले पठानकोट एयरबेस पर हमला करने वाले आतंकवादियों के सेना की वर्दी पहने होने के बाद यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चाओं में आया था। जिसके बाद सेना की ओर से यूनिफार्म से जुड़े कानून की बात सामने रखी गई थी। जैसलमेर में गत रविवार को एक व्यक्ति ने चूंकि सेना की वर्दी पहनी हुई थी तभी सैन्य वाहन में उसे लिफ्ट देकर कैंट तक ले जाया गया था। उसने वह डे्रस रेलवे स्टेशन के सामने से ही खरीदी थी। भले ही उस व्यक्ति की कोई मंशा सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाली नहीं हो लेकिन इस वाकये ने एक बार फिर सीमांत जिले में सुरक्षा बलों की वर्दी खुले बाजार में बिकने और इस बिक्री से गंभीर किस्म की परिस्थितियों का निर्माण होने की आशंकाओं को सामने ला दिया है। जानकारी के अनुसार भारतीय सेना की ओर से साफ तौर पर कहा गया है कि किसी भी आम आदमी को आर्मी वर्दी जैसे कपड़े नहीं बेंचे जाएंगे अगर ऐसा हुआ तो अनाधिकृत खरीददारों पर कार्रवाई की जाएगी। देश के कुछ शहरों में सेना पुलिस ने बाकायदा शहरी पुलिस के साथ मिलकर कपड़ा व्यापारियों के यहां जांच अभियान भी चलाया था। ऐसे किसी अभियान की जैसलमेर में चलाए जाने की जानकारी अब तक सामने नहीं आई है।
जुर्माना और सजा का है प्रावधान
- बाजारो में बिक रहे सेना-अद्र्धसैनिक बलों की यूनिफार्म जैसे कपड़े सुरक्षा बलों की छवि पर गलत प्रभाव डालते हैं। कई लोग महज शौक पूरा करने के लिए इन बलों की ड्रेस को धारण कर लेते हैं। जबकि किसी भी बल की वर्दी की अपनी शान होती है। इसे बाकाया पहनने वाला वर्दी की बहुत इज्जत करता है।
- नियमानुसार सेना की वर्दी का कपड़ा बेचने के लिए सेना मुख्यालय से अनुमति लेनी होती है। सेना यूनिफार्म या उस जैसी, वर्दी पहनना गैरकानूनी भी है। इसके लिए 500 रुपए जुर्माना और अधिकतम तीन महीने तक की सजा भी हो सकती है।
- जानकारी के अनुसार सेना की वर्दी का कपड़ा बनाने वाली भारत में कुछ ही मिल्स हैं। इनमें एक पंजाब के फगवाड़ा में और 2 महाराष्ट्र में बताई जाती हैं।
- केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से सभी राज्यों को निर्देश दिए हुए हैं कि जो लोग भी अनाधिकृत तरीके से सेना, नौ सेना और वायुसेना की वर्दी या उसके जैसी दिखने वाली यूनिफॉर्म पहनते हैं उनके खिलाफ भादसं. की धारा 140 और 171 के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। वैसे इसमें यह देखने के लिए भी कहा गया कि किसी ने देशभक्ति की वजह से आर्मी जैसी यूनिफॉर्म पहनी है या गुमराह करने के लिए।
- 2016 में पठानकोट हमले के बाद आर्मी की तरफ से लोगों से अपील की गई थी कि इस तरह के कपड़े ना पहनें जो आर्मी की वर्दी की तरह दिखते हों। साथ ही दुकानदारों से भी अपील की थी कि वह कॉम्बेट क्लोथ (सेना के जवानों की तरह की पोशाक) आम लोगों को ना बेचें। साथ ही प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियों से भी कहा था कि वह अपने गाड्र्स की वर्दी कॉम्बेट पैटर्न की ना बनाएं।
बाजार में न मिले वर्दी
आर्मी की डे्रस खुले बाजार में कतई नहीं मिलनी चाहिए। सेना के जवानों को आर्मी के डिपो से वर्दी या उसका कपड़ा मिलता है। अधिकृत दुकानदार भी इसे बेच सकते हैं लेकिन बिना अनुमति वर्दी का कपड़ा बेचा जाना अनुचित है। ऐसा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
- कैप्टन (रि.) आम्बसिंह भाटी, जैसलमेर