
राजस्थान की तपती धरा, चारों ओर फैले रेत के टीले और दूर-दूर तक पसरा रेगिस्तान… लंबे समय तक फलों की खेती के लिए अनुपयुक्त माना जाता रहा है, लेकिन बदलते समय के साथ अब मरुधरा की तस्वीर भी बदल रही है। रामदेवरा के समीप दूधिया क्षेत्र में प्रगतिशील किसान निंबाराम मेघवाल ने साधारण पानी से अनार की खेती कर यह साबित कर दिया कि मजबूत संकल्प और धैर्य के बल पर रेगिस्तान में भी हरियाली संभव है। दूधिया क्षेत्र में मीठे पानी की नहर की सुविधा नहीं है। इसके बावजूद निंबाराम मेघवाल ने परंपरागत खेती से हटकर अनार उत्पादन का साहसिक निर्णय लिया। सेना में सेवा पूरी करने के बाद सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने खेती को अपना जुनून बना लिया।
कृषि विज्ञान केंद्र पोकरण के प्रशिक्षण शिविरों और प्रसार गतिविधियों से प्रेरणा लेकर उन्होंने अनार की खेती से जुड़ी तकनीकी जानकारी हासिल की। वर्ष 2015 में गुजरात के मेहमदाबाद से करीब 1700 अनार के पौधे मंगवाकर 12 बीघा भूमि में बगीचे के रूप में रोपण किया गया। शुरुआती तीन वर्षों तक पौधों की नियमित देखभाल की गई। सिंचाई साधारण पानी से की गई और पोषण के लिए गोबर की देशी खाद का उपयोग किया गया। धैर्य और निरंतर मेहनत का परिणाम यह रहा कि बगीचे से उन्नत किस्म के लाल, सूर्ख और स्वादिष्ट अनार तैयार हुए। वर्तमान में एक अनार के पौधे से औसतन 10 से 15 किलोग्राम तक उत्पादन हो रहा है। शुरुआत में फसल की बिक्री स्थानीय बाजारों में की गई, लेकिन अपेक्षित मूल्य नहीं मिलने पर करीब 300 किलोमीटर दूर जालोर की जीवाना मंडी में विपणन किया गया, जहां अनार को बेहतर दाम मिले। अनार की खेती से निंबाराम मेघवाल को प्रतिवर्ष करीब दस लाख रुपये की आय हो रही है।
गौरतलब है कि अनार की खेती में सबसे बड़ी चुनौती शुरुआती तीन वर्षों का इंतजार है, क्योंकि इस अवधि में फसल नहीं मिलती। इसके बावजूद तीन साल बाद मिलने वाला मुनाफा पारंपरिक फसलों की तुलना में कई गुना अधिक होता है। उदाहरण के तौर पर 25 बीघा में मूंगफली की खेती से जहां लगभग पांच लाख रुपए की आय होती है, वहीं इतनी ही भूमि पर अनार की खेती से 20 लाख रुपए तक की आय संभव है। निंबाराम मेघवाल ने अनार के साथ 12 बीघा भूमि में उन्नत किस्म के बेर की खेती भी कर रखी है, जिससे अतिरिक्त आमदनी हो रही है। भविष्य में वे उन्नत किस्म की खजूर की खेती शुरू करने की योजना बना रहे हैं। मरुधरा में यह प्रयोग संकेत देता है कि आने वाले समय में जैसलमेर जिला अनार और अन्य फलों की खेती में नई पहचान बना सकता है।
बीते कई वर्षों तक परंपरागत खेती करता रहा। बाद में पूरी तरह जैविक तरीके से अनार की खेती का निश्चय किया। जैविक तकनीकों से बेहतर उत्पादन मिला। अनार के साथ बेर की खेती भी कर रहा हूं।
— निंबाराम मेघवाल, प्रगतिशील किसान, दूधिया
Published on:
19 Dec 2025 11:56 pm
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