
BrahMos
जैसलमेर. भारतीय वायुसेना व ब्रह्मोस एयरोस्पेस के साझा प्रयासों से आगामी दिनों में सुपरसोनिक कू्रज मिसाइल ब्रह्मोस के उन्नत संस्करण का एक बार फिर परीक्षण होगा। गत 27 मई को डीआरडीओ, रक्षा विशेषज्ञों और वायु व सेना के अधिकारियों की मौजूदगी में 300 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक कू्रज मिसाइल के आधुनिक संस्करण का सफल परीक्षण किया गया था। कठिन लक्ष्यों के खिलाफ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली की सतह तक मार करने की क्षमता का एक बार फिर इसी माह को आंकलन होगा। सूत्रों के मुताबिक यह तारीख 24 अगस्त हो सकती है। पूर्व में वर्ष 2015 में 8 और 9 मई और वर्ष 2015 में 7 नवंबर को ब्रह्मोस का परीक्षण किया गया था। हाल ही में 27 मई को वायुसेना की ओर से इस मिसाइल का परीक्षण किया गया था। जानकारों के मुताबिक फायर एंड फॉरगेट मिसाइल के पास ऊंचे और नीचे पथ पर उड़ान भर कर शत्रु की हवाई सुरक्षा प्र्रणालियों से बचते हुए सतह आधारित लक्ष्यों को निशाना बनाने की क्षमता है। जमीन से जमीन पर दागने के परीक्षणों पर खरा उतरने के बाद अत्याधुनिक सुपरसोनिक लड़ाकू विमान एसयू-36 से ब्रह्मोस मिसाइल को दागकर इसकी सटीक भेदन क्षमता का आंकलन किया जाएगा। सूत्रों की मानें तो परीक्षण में खामियों को सुधारने के लिए दिसंबर माह में बंगाल की खाड़ी में परीक्षण होगा। माना जा रहा है कि परीक्षण सफल रहने की स्थिति में भारतीय विमान की मारक क्षमता कई गुना बढ़ सकेगी।
परीक्षण से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
-मिसाइल मोबाइल ऑटोनोमस लांचर (एमएएल) से छोड़ी गई।
-रेत के धोरों के बीच ब्रह्मोस ने तयशुदा लक्ष्य पर अचूक निशाने साधे।
-गहराई तक मार करने की क्षमता से लैस ब्रह्मोस के नए संस्करण में एक नई गाइडेंस प्रणाली लगी है।
-ब्रह्मोस जमीनी हमले के संबंध में पहले ही पर्वतीय अभियानों में अपनी ताकत दिखा चुका है।
-प्रशिक्षित अधिकारियों की ओर से किए गए इस परीक्षण ने मिशन के सभी उद्देश्यों को पूरा किया।
-सुस्पष्ट हमले के लिए ब्रह्मोस मिसाइल सर्वाधिक खतरनाक एवं प्रभावी शस्त्र प्रणाली है।
ब्रह्मोस यानि फायर एंड फॉरगेट मिसाइल
-सेना ने अपने शस्त्रों के बेड़े में ब्रह्मोस की तीन रेजीमेंटों को पहले ही शामिल कर रखा है।
2.8 मेक की गति से उड़ान
मिसाइल को जल, थल और नभ तीनों स्तर से दागा जा सकता है। सेना में सुपरसोनिक कू्रस मिसाइल ब्रह्मोस मिसाइल वर्ष 2007 से प्रयोग में ली जा रही है। इसकी कीमत 2.73 मिलियन यूएस डॉलर आंकी गई है। मिसाइल को शिप, सब मेराइन, एयरक्राफ्ट व लेंड बेस्ड मोबाइल लांचर से दागा जा सकता है। यह मिसाइल भारतीय आर्मी, भारतीय नेवी व भारतीय वायुसेना की ओर से प्रयोग में लाई जाती है। ब्रह्मोस भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओएएम की साझेदारी का उपक्रम है। मिसाइल नौसेना और थल सेना में भी शामिल की जा चुकी है। करीब 300 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल 2.8 मेेक की गति से उड़ान भरती है और अपने साथ 300 किलोग्राम तक का आयुध ले जा सकती है।
इन्होंने कहा
भारतीय वायु सेना ने शुक्रवार दोपहर 12 बजे ब्रह्मेास कू्रज मिसाइल का पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में परीक्षण किया। परीक्षण सफल रहा।
-ले. कर्नल मनीष ओझा, रक्षा प्रवक्ता
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