जैसलमेर

बच सकते हैं हीट वेव से…यहां हर पत्थर में है शीतलता का विज्ञान और हर हवेली में पर्यावरण का भविष्य

देश भर में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी और हीटवेव के बीच जब महानगरों में एसी भी विफल हो रहे हैं, जैसलमेर की पारंपरिक वास्तुकला एक शांत संदेश देती है—सहज, प्राकृतिक और टिकाऊ जीवन अब भी संभव है।

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Jun 06, 2025

देश भर में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी और हीटवेव के बीच जब महानगरों में एसी भी विफल हो रहे हैं, जैसलमेर की पारंपरिक वास्तुकला एक शांत संदेश देती है—सहज, प्राकृतिक और टिकाऊ जीवन अब भी संभव है। यहां की हवेलियां और गलियां इस बात का प्रमाण हैं कि बिना अतिरिक्त ऊर्जा के भी भीषण गर्मी में ठंडक पाई जा सकती है। जैसलमेर की पारंपरिक इमारतें पीले बलुआ पत्थर से बनी होती हैं। इनकी मोटी दीवारें दिन की गर्मी को अवशोषित करती हैं और रात को ठंडक छोड़ती हैं। इससे घर का तापमान संतुलित रहता है, जिससे एसी या कूलर की आवश्यकता नहीं होती। यहां की संकरी गलियां छायादार होती हैं। हवेलियों में बने आंगन, झरोखे और खिड़कियां प्राकृतिक वेंटिलेशन को प्रोत्साहित करते हैं। आड़ी-तिरछी गलियां हवा के प्रवाह को गति देती हैं और धूप को रोकती हैं, जिससे भीतरी हिस्सों में शीतलता बनी रहती है।

नक्काशी और जाली: सुंदरता के साथ सुविधा

हवेलियों में पत्थरों पर की गई नक्काशी और जाली कार्य केवल सजावट नहीं है। जालियां प्रकाश को छनकर भीतर आने देती हैं और हवा का प्रवाह बनाए रखती हैं, जिससे घर रोशनी से भरा, लेकिन गर्मी से सुरक्षित रहता है।

हीटवेव में राहत का फार्मूला

जैसलमेर के सिविल इंजीनियर चन्दनसिंह भाटी कहते हैं कि जैसलमेर भवन निर्माण मॉडल ऊर्जा दक्ष और पर्यावरण के अनुकूल है। जालियां और नक्काशी ताप नियंत्रण और वायु के प्रवाह में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

जैसलमेर मॉडल अपनाने के फायदे

  • ऊर्जा की बचत, एसी-कूलर की जरूरत घटती है।
  • पर्यावरण संरक्षण, कार्बन उत्सर्जन में कमी।
  • मानसिक सुकून, प्राकृतिक ठंडक से बेहतर जीवन अनुभव।
  • धरोहर संरक्षण, पारंपरिक शैली जीवित रहती है।-कम रख- रखाव, मजबूत निर्माण अधिक टिकाऊ होता है।
  • सौंदर्य व गोपनीयता, जाली डिज़ाइन से दोनों संतुलित।भीषण गर्मी में 7-8 डिग्री तक राहतजैसलमेर की पारंपरिक वास्तुकला भीषण गर्मी में भी 7-8 डिग्री तक ठंडक बनाए रखती है। संकरी गलियों का दिशा-निर्देशन और हवेलियों की संरचना प्राकृतिक वेंटिलेशन को बढ़ावा देती है। पीले बलुआ पत्थर और मोटी दीवारें थर्मल इंसुलेशन का काम करती हैं। झरोखे, चौक और जालियां हवा और प्रकाश के संतुलन में सहायक हैं। चूने का उपयोग भी भवनों को ठंडा रखने में मदद करता है। इनके निर्माण कार्य की लागत आम निर्माण कार्यों के समान होती है, लेकिन वायु और तापमान के अनुसार भवन निर्माण में दिशाओं का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि प्राकृतिक वेंटिलेशन और ठंडक बनाए रखी जा सके।-आर्किटेक्ट, कमलेश कुम्हारविभागाध्यक्ष, नियोजन विभागएमबीएम विश्वविध्यालय, जोधपुर
Published on:
06 Jun 2025 11:28 pm
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