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JAISALMER NEWS- राजस्थान में गरीबों को पट्टा मिलने के बाद भूखण्ड पर कब्जा देने में लग गए 11 साल

कलक्टर ने 2007 में 176 घुमन्तु परिवारों को दिये थे पट्टे

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जैसलमेर. सरकार भले ही गरीबों के लिए आवास योजना बनाकर उन्हें मकान का सपना दिखा रही है, लेकिन सरकारी तंत्र में निचले स्तर पर हो रही लापरवाही के चलते गरीबों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा। नाचना क्षेत्र में ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें घुमन्तु परिवारों को 2007 में जिला कलक्टर ने आवासीय भूखण्ड आवंटित कर उन्हें हाथों-हाथ पट्टे दे दिये थे, लेकिन सबंधित विभाग ने कब्जा देने में 11 साल का समय लगा दिया। कब्जा देने में एक दशक से अधिक समय लगाने वाले विभाग से आमजन को योजनाओं का लाभ देने में कितनी लापरवाही बरती जा रही है। इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

इन्होंने दिया था पट्टा
जानकारी के अनुसार 2007 में घुमन्तु परिवारों को पट्टा जारी करने के लिए तत्कालीन कलक्टर केके पाठक ने नाचना में रहवास कर रहे घुमन्तु जाति के लोगों को पट्टा जारी कर उन्हें दे भी दिया था, लेकिन उपनिवेशन विभाग ने कब्जा देने में ग्यारह साल लगा दिए।
176 लोगों को दिये थे पट्टे
कलक्टर ने उस समय गांव के करीब 176 लोगों को पट्टे जारी किए थे। उन्हें स्थायी निवास के लिए 30 बाई 45 के आवासीय भूखण्ड दिए गए थे।

IMAGE CREDIT: patrika

आवंटित भूमि का 11 वर्ष बाद मिलेगा कब्जा
नाचना गांव में 11 वर्ष पूर्व गरीब, घुम्मकड़ व बीपीएल परिवारों को आवंटित किए गए भूखण्डों का भौतिक कब्जा देने की प्रक्रिया सोमवार को शुरू की गई। गौरतलब है कि वर्ष 2007 में तत्कालीन उपनिवेशन कमिश्नर केके पाठक ने नाचना में आयोजित एक शिविर में गांव के गरीब परिवार, घुम्मकड़ जाति तथा बीपीएल परिवार के लोगों को आवास के लिए इन्दिरा गांधी नहर कॉलोनी के उत्तर दिशा में रकबाराज की भूमि में करीब 15 बीघा भूमि ग्राम पंचायत को आवंटित कर 176 व्यक्तियों को 30 गुणा 45 फीट के आवासीय भूखण्ड आवंटित किए गए तथा पट्टे जारी किए गए। पट्टे जारी करने के बाद आवंटियों को मौके पर कब्जा नहीं दिया गया था। जिसके चलते आवंटियों की ओर से उपनिवेशन कार्यालय के चक्कर लगाए जा रहे थे। सोमवार को राज्य अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य सुरजाराम नायक नाचना पहुंचे। उन्होंने पचंायत समिति जैसलमेर के विकास अधिकारी धनदान दैथा, सरपंच किशनलाल भील, ग्रामसेवक राणुलाल, उपनिवेशन पटवारी के साथ आवंटित भूमि का मौका देखा। उन्होंने पटवारी देवकरण से भूमि की पैमाइश कर सीमाज्ञान किया। अब यहां भूमि पर नक्शे के आधार पर सडक़ों, उद्यान, विद्यालय, अस्पताल, सभाभवन के लिए स्थान चिन्हित किया जाएगा। इसके बाद पट्टाधारियों को कब्जा सुपुर्द किया जाएगा। कब्जा देने की प्रक्रिया शुरू होने पर आवंटियों ने राहत की सांस ली है।