मोर्चरी में व्यवस्थाओं की ‘मौत’, नवनिर्माण पर अब टिकी समाधान की आस
जैसलमेर जिले के राजकीय जवाहिर चिकित्सालय में बनाए गए मोर्चरी कक्ष में जहां शवों को रखा जाता है, वहां पहुंचने पर पता चलता है कि यहां कई तरह की जरूरी व्यवस्थाओं ने वर्षों से दम तोड़ रखा है।
जैसलमेर जिले के राजकीय जवाहिर चिकित्सालय में बनाए गए मोर्चरी कक्ष में जहां शवों को रखा जाता है, वहां पहुंचने पर पता चलता है कि यहां कई तरह की जरूरी व्यवस्थाओं ने वर्षों से दम तोड़ रखा है। बीती रात एक निजी कम्पनी में कार्यरत बाहरी व्यक्ति की जब ह्रदयगति रुकने से मौत हो गई तब उसके शव को मोर्चरी में रखवाया जाना था। उसके साथी कर्मचारी जब वहां शव लेकर पहुंचे तो उन्हें पता चला कि मोर्चरी में लाइट ही नहीं है और न ही शव को सुरक्षित रखे जाने के लिए डीप फ्रीज की व्यवस्था है। जानकारी के अनुसार इन बाहरी लोगों ने जिला स्तर के अस्पताल में इतनी अनिवार्य न्यूनतम व्यवस्थाओं के नहीं होने के लेकर नाराजगी जताइ, लेकिन यह सब यहां पिछले कई वर्षों से चल रहा है। दरअसल किसी भी मोर्चरी में डीप फ्रीज एक सबसे बुनियादी जरूरत का सामान होता है। जिसमें शवों को -10 से -50 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान पर सुरक्षित रखा जाता है। इतना कम तापमान सुनिश्चित करता है कि शव जमी हुई अवस्था में पहुंच जाए और शव कुछ दिन नहीं बल्कि कुछ सप्ताह तक सुरक्षित रह जाते हैं। जैसलमेर अस्पताल के मोर्चरी के लिए लाखों रुपए कीमत वाले फ्रीज वर्षों पहले आ गए लेकिन उनकी बिजली फिटिंग तक की व्यवस्था नहीं की जा सकी और वे अनुपयोगी अवस्था में हैं। ऐसे में जिन व्यक्तियों के शवों को सुरक्षित रखना होता है, उनके परिवारजन या अन्य लोग यहां बर्फ की सिल्लियों की व्यवस्था करते हैं। अब सबकी उम्मीदें नई बनने वाली मोर्चरी पर टिकी है।
अव्यवस्थाओं की बड़ी कीमत
- अस्पताल की मोर्चरी में सिर्फ दो ही कमरे हैं और वह भी जरूरत से बहुत छोटे हैं। इस वजह से डीप फ्रीज रखने के लिए जगह नहीं मिली।
- मोर्चरी में सिर्फ दो शव रखे जाने की व्यवस्था है, लेकिन कई बार ऐसे भी मामले सामने आते हैं जहां 2 से अधिक शवों को मोर्चरी में रखना पड़ता है। ऐसे में बड़ी समस्या सामने आ जाती है।
- मृत्यु के कुछ घंटों बाद शव से बदबू आने लगती है। यदि हत्या या संदिग्ध मौत जैसे मामले हो और पोस्टमार्टम में देरी हो तो डीप फ्रीज के बिना शव की सही रिपोर्ट आनी भी मुश्किल होती है।
- मोर्चरी में मृतक के परिजनों के बैठने की भी कोई व्यवस्था नहीं है। वे गर्मी, बारिश व सर्दी के मौसम में बाहर खुले में बैठने को मजबूर होते हैं।
नई मोर्चरी का चल रहा काम
अस्पताल में नए मोर्चरी के निर्माण के लिए नगरपरिषद जैसलमेर ने पहल की और इस कार्य पर 33.25 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की। इस मोर्चरी में वर्तमान में टाइल्स लगाने का काम चल रहा है। इस मोर्चरी में पोस्टमार्टम रूम, 3 बड़े रूम, वेटिंग हॉल, बाथरूम होंगे। साथ ही पोस्टमार्टम के लिए अत्याधुनिक उपकरण और 6 शव रखने की क्षमता वाले डीप फ्रीज रखने की व्यवस्था होगी। वर्तमान में बनी मोर्चरी में विगत कई वर्षों से यह फ्रीज कार्टन में ही पैक है। शव खराब होने से सबूत भी मिट जाते लेकिन अब नई मोर्चरी में डीप फ्रीज लगा दिया जाएगा. जिसमें 6 शव रखने की व्यवस्था होगी। नई मोर्चरी में परिजनों के लिए वेटिंग हॉल भी बनाया जाएगा जिसमें परिजन बैठ सकेंगे।
नई मोर्चरी से सुधरेगी व्यवस्थाएं
जवाहिर चिकित्सालय में नगरपरिषद के सहयोग से नई मोर्चरी बनवाने का काम जारी है। जहां शवों को सुरक्षित रखने वाले डीप फीज सहित सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया हो सकेंगी। जहां तक बिजली व्यवस्था की बात है, वर्तमान मोर्चरी की लाइट खंभे पर आए फॉल्ट के कारण बंद थी, उसे एफआरटी टीम को बुलवाकर सुचारू करवा दिया गया है। - डॉ. चंदनसिंह तंवर, पीएमओ, जवाहिर चिकित्सालय, जैसलमेर
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