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ब्लैकआउट में फिर डूबा ‘जैसलमेर’, लेकिन चेहरों पर संयम व गंभीरता

रविवार शाम ठीक साढ़े सात बजे जैसलमेर प्रशासन ने एहतियातन ब्लैकआउट की घोषणा की।

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जैसलमेर में ब्लैकआउट की तस्वीर

दीपक व्यास

न कोई सायरन बजा, न अफरा-तफरी मची, तब भी जैसलमेर ने समझदारी और अनुशासन से वक्त की नब्ज को पहचान लिया। रविवार शाम ठीक साढ़े सात बजे जैसलमेर जब प्रशासन ने एहतियातन ब्लैकआउट की घोषणा की, तो एक शांत स्वीकृति के साथ जिले ने फिर एक बार अंधेरे को अपना लिया। रविवार रात तक सरहद पार से कोई बड़ी घटना नहीं हुई थी। लोग घरों की ओर लौटे, चेहरे शांत थे, मनों में आत्मविश्वास था। कुछ लोग घरों में टीवी पर खबरें देख रहे थे, कुछ अपने बुजुर्गों से चर्चा कर रहे थे-कि हालात क्या कह रहे हैं।

इससे पूर्व जैसाण के बाशिंदों की रात ब्लैकआउट, धमाकों और आशंकाओं के बीच तनाव में बीती, लेकिन रविवार सुबह जैसे-जैसे दिन चढ़ा, शहर से गांव तक सब कुछ सामान्य जीवन लौटता दिखा। व्यवसायी भलाराम चौधरी बताते हैं कि रात तो बहुत घबराहट में निकली, लेकिन अब जैसे ही सूरज चढ़ा और बाजार खुले, तो लगा कि जिंदगी वापस पटरी पर आ रही है।

वहीं ट्रेवल एजेंट सुमेरसिंह राजपुरोहित ने बताया- आज सुबह शांति रही। गांवों में जीवन की वापसी ग्रामीण इलाकों में रविवार को शांति दिखी, हालांकि आम दिनों की तुलना में आवाजाही कम रही। पेट्रोल पंप खुले थे, लेकिन वाहनों की संख्या में कमी रही। जैसलमेर और पोकरण क्षेत्रों में एम्बुलेंस और दमकल तैनात की गई थीं। चर्चा थी कि प्रशासन ने एहतियात के तौर पर ये कदम उठाए हैं।

बस नी आवै तो शहर कोकर जावै…

सरहदी गांव रामगढ़ में दुकानें खुली तो भीड़ कम रही। यहां ग्रामीण हरीश प्रजापत बोले- जैसलमेर बस नी आवै, तो शहर कोकर जावें.. कई लोग रुक गया। फलसूंड के ललित जैन ने बताया कि बाजार खुले, लेकिन भीड़ कम रही। सम निवासी रघुराम ने बताया - रात में तो जी डर लग्यो, पण अब खेतां में मन लाग रहो है.. खेतों में जाणो ज्यादा सुकून दै रयो है। मोहनगढ़ में दुकानें खुली, लेकिन वहां भी हड़बड़ी की स्थिति नहीं थी। राधेश्याम शर्मा और राजमल खत्री बताते हैं कि आज सब ठीक लग रहा है, लेकिन आने वाले दिन में देखेंगे क्या होता है? पोकरण में सामान्य जीवन जारी था। महिपाल चंपावत और कैलाश पुरोहित ने बताया कि अब शहर व गांवों के बीच लोग आ-जा रहे हैं।

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