
Rajasthan News: दुनिया के दुर्लभ पक्षियों में शामिल और राज्य पक्षी गोडावण के संबंध में जैसलमेर में नया इतिहास रचा गया है। यहां सुदासरी स्थित ब्रीडिंग सेंटर में आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (कृत्रिम गर्भाधान) के जरिए गोडावण का चूजा पैदा करवाने में वैज्ञानिकों को सफलता मिली है। माना जा रहा है कि ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश है और यह दुर्लभ गोडावण के संरक्षण के क्षेत्र में बड़ी छलांग है।
जानकारी के अनुसार जिले के रामदेवरा स्थिति ब्रीडिंग सेंटर में एक नर गोडावण को कृत्रिम मेङ्क्षटग के लिए प्रशिक्षित किया गया और उसके स्पर्म एकत्रित कर उन्हें सुदासरी स्थित ब्रीडिंग सेंटर में ले जाकर गत 20 सितम्बर को वहां मादा गोडावण में इंजेक्ट किया गया। इसके 4 दिन बाद मादा ने अंडा दिया। जिसकी वैज्ञानिकों ने पूरे तौर पर देखभाल की और गत 16 अक्टूबर को अंडे से गोडावण का चूजा बाहर निकला। इस चूजे को 7 दिन तक लगातार 24 घंटे वैज्ञानिकों ने निगरानी में रखा और उसके सभी मेडिकल टेस्ट किए गए, जिनमें वह खरा उतरा।
जानकारी के अनुसार गोडावण के कृत्रिम गर्भाधान का यह अनोखा विचार अबूधाबी से आया। वहां इंटरनेशनल फंड फॉर हुबारा कंजर्वेशन फाउंडेशन में तिलोर पक्षी पर इस तरह का सफल परीक्षण किया गया। जिसके बाद भारत से वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक गत वर्ष वहां गए और इस तकनीक का प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद गोडावण में कृत्रिम गर्भाधान के लिए प्रयास शुरू किए गए।
इस पद्धति में नर गोडावण के सामने एक कृत्रिम मादा रखी जाती है और उसे मेटिंग के लिए प्रशिक्षित किया जाता है जिससे वह स्पर्म दे सके। नर गोडावण को इस तरह का प्रशिक्षण देने में 8 माह का समय लगा। गौरतलब है कि जैसलमेर का डेजर्ट नेशनल पार्क गोडावण संरक्षण की दशकों पुरानी कवायद का हिस्सा है। यहां पर गोडावण के रहने व उनके प्रजनन की अनुकूल परिस्थितियां हैैं। इसके अलावा जिले में दो ब्रीडिंग सेंटर रामदेवरा व सुदासरी में बनाए गए हैं।
वहीं, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी इस उपलब्धी पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि सुखद एवं गौरवपूर्ण समाचार! राजस्थान के जैसलमेर में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई है। लगातार विलुप्ति की ओर बढ़ती गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) प्रजाति के संरक्षण में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त हुई है, जहाँ कृत्रिम गर्भाधान (आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन) की नवीन तकनीक द्वारा एक स्वस्थ चूजे का जन्म हुआ है।
आगे कहा कि राजस्थान के राज्य पक्षी गोडावण की विलुप्ति को रोकने एवं इसकी संख्या में वृद्धि करने के महत्वपूर्ण उद्देश्य से संचालित "बस्टर्ड संरक्षण एवं पुनर्वास कार्यक्रम" के अंतर्गत जैसलमेर स्थित कृत्रिम प्रजनन केंद्र में यह उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुई है। यह अभूतपूर्व उपलब्धि गोडावण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी। इस अभिनव प्रोजेक्ट से जुड़े समस्त वैज्ञानिकों, वन विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को उनके अथक एवं सराहनीय प्रयासों के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं।
जैसलमेर डीएनपी के डीएफओ डॉ. आशीष व्यास ने बताया कि जैसलमेर में गोडावण संरक्षण परियोजना के तहत बड़ी उपलब्धि हासिल की गई है। यहां कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से पहली बार गोडावण का चूजा पैदा करने में कामयाबी मिली है। यह हम सभी के लिए बहुत बड़ी खुशी की बात है।
Updated on:
22 Oct 2024 09:55 pm
Published on:
22 Oct 2024 07:36 pm
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