जैसलमेर

30 हजार से अधिक आबादी, पाइपलाइन 40 साल पुरानी… आए दिन लीकेज से बढ़ रही समस्या

भारत-पाक सीमा से सटे सरहदी जिले की परमाणु नगरी पोकरण के वाशिंदों की पेयजल व्यवस्था आज भी करीब चार दशक पुरानी पाइपलाइनों पर निर्भर है।

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Jun 03, 2025

भारत-पाक सीमा से सटे सरहदी जिले की परमाणु नगरी पोकरण के वाशिंदों की पेयजल व्यवस्था आज भी करीब चार दशक पुरानी पाइपलाइनों पर निर्भर है। ऐसे में आए दिन पाइपलाइनों के लीकेज होने, फूट जाने जैसी समस्याओं के कारण पेयजल संकट के हालात उत्पन्न हो जाते है। गौरतलब है कि पोकरण कस्बे की आबादी 30 हजार से अधिक है। कस्बे के वाशिंदों के लिए पेयजल व्यवस्था के लिए वर्षों पूर्व पाइपलाइनें लगाई गई थी। कस्बे के पुराने गली मोहल्लों में करीब 30 से 40 साल पुरानी पाइपलाइनें लगी हुई है। आबादी के बढऩे के साथ पाइपलाइनों में कनेक्शन होते गए, लेकिन पाइपलाइनों को बदलने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिसके कारण आए दिन पेयजल समस्या के हालात उत्पन्न हो जाते है।

आए दिन फूट व लीकेज हो रही पाइपलाइन

कस्बे में करीब 30-40 वर्ष पूर्व पाइप लाइनें बिछाई गई थी। समय के साथ आबादी का विस्तार होता गया। कस्बे की आबादी 30 हजार से अधिक पहुंच गई है, लेकिन आबादी के अनुसार अभी तक पाइपलाइनों को नहीं बदला गया है। जिसके कारण आए दिन पाइपलाइनों के फूट जाने, लीकेज हो जाने की समस्या उत्पन्न हो जाती है। ऐसे में आए दिन सैकड़ों गैलन शुद्ध पानी भी व्यर्थ बह जाता है।

यह है जलापूर्ति की व्यवस्था

  • पोकरण कस्बा करीब 5 किलोमीटर परिधि में फैला हुआ है।
  • कस्बे में पोकरण-फलसूंड पेयजल लिफ्ट परियोजना के तहत पानी की आपूर्ति होती है।
  • परियोजना के बीलिया हेडवक्र्स से पानी कस्बे के फोर्ट रोड स्थित शहरी जलप्रदाय योजना के एमबी वेल हेडवक्र्स, फलसूंड रोड हेडवक्र्स और जोधपुर रोड पर अधिशासी अभियंता कार्यालय के पीछे स्थित हेडवक्र्स पर पहुंचता है।
  • इन तीन हेडवक्र्सों से अलग-अलग गली मोहल्लों में जलापूर्ति की जाती है।
  • पोकरण कस्बे में 6 एमएलडी पानी की आपूर्ति होती है। इसके लिए 60 अलग-अलग जॉन बनाए गए है।
  • गली-मोहल्लों में 72 घंटे के अंतराल में जलापूर्ति की व्यवस्था की गई है।

अंतिम छोर तक रहती है समस्या

कस्बे में जलदाय विभाग के 3 हेडवक्र्स से 30-40 वर्ष पुरानी पाइपलाइनों के माध्यम से घरों में जलापूर्ति की जाती है। करीब 5 किलोमीटर परिधि में फैले पोकरण कस्बे में हेडवक्र्स से अंतिम छोर की दूरी 1 से 2 किलोमीटर तक हो जाती है। ऐसे में वर्षों पुरानी पाइपलाइनों के कारण अंतिम छोर तक पेयजल समस्या उत्पन्न हो जाती है।

एक वर्ष बाद भी योजना अधरझूल में

कस्बे की पेयजल समस्या के समाधान को लेकर गत वर्ष राज्य सरकार की ओर से करीब 37 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई थी। इस राशि से पाइपलाइनों को बदलने का कार्य किया जाना था। करीब एक वर्ष बीत जाने के बाद अभी तक योजना अधरझूल में ही है। हालांकि निविदा आमंत्रित की गई है, लेकिन निविदा प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो पाई है।

आए दिन हो जाते है लीकेज

कस्बे में वर्षों पुरानी पाइपलाइनें आए दिन लीकेज हो जाती है। कई बार तेज प्रेशर के कारण पाइपलाइन फूट जाती है और सैकड़ों गैलन शुद्ध पानी व्यर्थ बह जाता है। जबकि नई पाइपलाइनें लगाने व समस्या के समाधान को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

  • गोपाल रंगा, स्थानीय निवासी

कब शुरू होगा कार्य

एक वर्ष पूर्व सरकार की ओर से नई पाइपलाइनों के लिए राशि स्वीकृत की गई, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है। ऐसे में आए दिन पेयजल समस्या की स्थिति उत्पन्न हो रही है।

  • गजू सुथार, स्थानीय निवासी
Published on:
03 Jun 2025 11:43 pm
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