
जैसलमेर जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल राजकीय जवाहिर अस्पताल में कई तरह की अव्यवस्थाओं का खामियाजा वहां भर्ती मरीजों व उनके परिजनों को उठाना पड़ रहा है। अस्पताल के एमसीएच यूनिट, ट्रोमा सेंटर, सर्जिकल वार्ड सहित वहां बने बरामदों में गंदगी और कूड़ा-करकट व अव्यवस्थाओं के कारण संक्रमण का खतरा बना रहता है। अस्पताल के विभिन्न वार्डों और अस्पताल परिसर में सफाई की स्थिति वर्तमान में संतोषजनक नहीं है। जिससे मरीजों और उनके परिजनों में चिंता का माहौल है। हालांकि जिम्मेदारों की ओर से दिन में दो से तीन बार सफाई करवाने की बात कही जाती है। अस्पताल में मरीजों के साथ आने वाले उनके परिजन जहां खाली जगह दिखी वहां बैठ जाते हैं, लेकिन उन्हें वहां रोकने-टोकने वाला कोई नहीं। चाहे वह कोई वार्ड हो या वार्ड के बाहर बरामदा हो, महिलाएं व बच्चे बैठकर चाय-नाश्ता व भोजन करते देखे जा सकते हैं, जो कि गंदगी का सबसे बड़ा कारण है।
इसके अतिरिक्त अस्पताल में मरीजों को उचित इलाज और देखभाल में भी कई समस्याएं सामने आ रही हैं। खासकर आग से झुलसे हुए मरीजों के लिए अलग से कोई बर्न यूनिट नहीं है। ऐसे में उन मरीजों को सर्जिकल वार्ड में ही भर्ती किया जा रहा है, जबकि इस वार्ड अन्य मरीजों के साथ उन्हें रखने से संक्रमण का खतरा भी बढ जाता है। इस संबंध में अस्पताल में पीएमओ डॉ. चंदनसिंह ने कहा कि बर्न यूनिट ऊपरी हिस्से में है। वहां कुछ रिजर्व बैड्स लगाने की व्यवस्था की जाएगी।
अस्पताल में शीतल पेयजल की आपूर्ति भी बहुत कम हो गई है, जिससे न केवल मरीजों को बल्कि उनके परिजनों को भी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल में बन की टोंटिया, हैंडवॉश सिंक व शौचालय क्षतिग्रस्त व गंदगी से अटे पड़े हैं। पानी की व्यवस्था न होने से मरीजों को स्वच्छता बनाए रखने में मुश्किल हो रही है, जो गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है।
अस्पताल के एमसीएच यूनिट के बच्चा वार्ड की स्थिति भी जुदा नहीं है। यहां बरामदों में प्लास्टिक की खाली बोतलें, रेपर व जगह-जगह गिरी चाय, ज्यूस व अन्य प्रकार की गंदगी से संक्रमण का खतरा हर समय बना रहता है। प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि सफाईकर्मी सफाई करते हैं, लेकिन वार्ड में भर्ती मरीजों के परिजन व उनके साथ आए बच्चे कचरा व गंदगी फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ते है। ऐसे में यह स्थिति बनी हुई है।
अस्पताल में विशेष रूप से सुरक्षा व्यवस्था भी सवालों के घेरे में है। जानकारी के अनुसार अस्पताल की सुरक्षा का जिम्मा केवल 12 होमगार्ड के भरोसे है, जो तीन शिफ्टों में ड्यूटी पर तैनात रहते हैं। इनमें से रात के समय मात्र दो होमगार्ड ही अस्पताल की सुरक्षा का ध्यान रखते हैं, जो सुरक्षा की दृष्टि से पर्याप्त नहीं मानी जा सकती। इतने बड़े अस्पताल में कम से कम 8 से 10 कार्मिक सुरक्षा के लिए हर समय मौजूद रहने चाहिए। पूर्व में कई तरह की घटनाएं भी घटित हो चुकी हैं।
Published on:
25 May 2025 11:18 pm
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