
पोकरण कस्बे के ऐतिहासिक आशापुरा माता मंदिर में शनिवार को भारतीय लघु पंचांग परिवार बीकानेर व पोकरण के श्रद्धालुओं के तत्वावधान में शतचंडी महायज्ञ शुरू किया गया। गौरतलब है कि प्रतिवर्ष 27 से 31 दिसंबर तक कस्बे के आशापुरा माता मंदिर में शतचंडी महायज्ञ का आयोजन किया जाता है। विश्व कल्याण, सुख समृद्धि, शांति व भाइचारे की भावना को लेकर 16वें शतचंडी महायज्ञ के 5 दिवसीय अनुष्ठान में आशापुरा मंदिर में दुर्शाशप्तशति के पाठ के साथ यज्ञ किया जाएगा। इस दौरान हवनकुंड में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ आहुतियां दी जाएगी। इस महायज्ञ के आचार्य पंडित अशोक बिस्सा सन्ना महाराज बीकानेर ने बताया कि इस यज्ञ का धार्मिक महत्व है और यह यज्ञ मळ मास में सरोवर अथवा नदी के किनारे किया जाता है। उन्होंने बताया कि यज्ञ के साथ मां जगदंबा के सभी रूपों का आह्वान किया जाएगा और प्रतिदिन दुर्गाशप्तशति के पाठ कर हवनात्मक यज्ञ किए जाएंगे।
महायज्ञ शुरू करने से पूर्व आचार्य पंडित अशोक बिस्सा व अन्य पंडितों के सानिध्य में यजमान लक्ष्मीनारायण जोशी, गोपाल जोशी, राज छंगाणी सहित यजमानों की ओर से आशापुरा तालाब पर दशोविधि से प्रायश्चित स्नान किया गया। इस मौके पर मातृ संकल्प, वरुण पूजा, हिमाद्री संकल्प, जल यात्रा व समुंद्र पूजन किया गया। तालाब से आशापुरा मंदिर तक ढोल नगाड़ों के साथ कलश यात्रा निकाली गई। जिसमें बालिकाएं मंगल कलश लिए हुए चल रही थी। यात्रा मंदिर स्थित यज्ञस्थल तक पहुंची। यहां बालिकाओं ने यज्ञ शाला की परिक्रमा की व यजमानों की ओर से कन्या पूजन कार्यक्रम के अंतर्गत सभी कन्याओं का वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन किया गया। पहले दिन सुबह वेदपाठी पंडितों की ओर से दुर्गाशप्तशति के पाठ किए। दोपहर में हवनात्मक यज्ञ शुरू किया गया। जिसमें यजमानों की ओर से आहुतियां दी गई।
आचार्य पंडित अशोक बिस्सा ने बताया कि आचार्य अशोक रंगा, पंडित रमेश पुरोहित, अरुण शास्त्री, मनोजकुमार बिस्सा, ओमप्रकाश व्यास, शिवदयाल व्यास, राहुल रंगा के सानिध्य में यह महायज्ञ 31 दिसंबर तक चलेगा। जिसमें पाठ के साथ हवन आयोजित किया जाएगा। इस महायज्ञ में प्रतिदिन श्रद्धालुओं की ओर से वैदिक मंत्रोच्चार के साथ आहुतियां दी जाएगी। 31 दिसंबर को आरती, महाप्रसादी व देवविसर्जन के साथ इस महायज्ञ की पूर्णाहुति की जाएगी।
शतचंडी महायज्ञ के साथ ही मां आशापुरा के सभी रूपों का आह्वान कर अर्चना भी की जा रही है। उन्होंने बताया कि शनिवार को 30 हजार पुष्पों से मां आशापुरा के सहस्त्रनामों के साथ अर्चन किया गया। यह अनुष्ठान 30 दिसंबर तक प्रतिदिन चलेगा और 1.20 लाख पुष्पों से अर्चन किया जाएगा।
Published on:
27 Dec 2025 08:24 pm
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