जैसलमेर

कर्मों का बंध आत्मा के उत्थान में सबसे बड़ा अवरोध : साध्वी प्रशमिता

चातुर्मास समिति और सकल जैन संघ के तत्वावधान में आयोजित चातुर्मास प्रवचन माला में साध्वी प्रशमिता और साध्वी अर्हमनिधि ने मंगलाचरण के साथ प्रवचन की शुरुआत की। साध्वी प्रशमिता ने आत्मा और कर्म सिद्धांत पर गहराई से प्रकाश डाला।

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Jul 14, 2025

चातुर्मास समिति और सकल जैन संघ के तत्वावधान में आयोजित चातुर्मास प्रवचन माला में साध्वी प्रशमिता और साध्वी अर्हमनिधि ने मंगलाचरण के साथ प्रवचन की शुरुआत की। साध्वी प्रशमिता ने आत्मा और कर्म सिद्धांत पर गहराई से प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि आत्मा को परमात्मा बनने से रोकने वाला सबसे बड़ा कारण कर्मों का बंध है। कर्म दो प्रकार के होते हैं— पाप और पुण्य। पाप कर्म दुःख का कारण बनते हैं जबकि पुण्य कर्म से सुख की प्राप्ति होती है। साध्वी ने आठ प्रकार के कर्मों का उल्लेख करते हुए बताया कि घाती कर्मों से मुक्त होकर आत्मा अरिहंत बनती है और जब समस्त कर्मों का नाश होता है, तब मोक्ष की प्राप्ति होती है।प्रवचन में मौन की महत्ता को भी प्रमुखता से रेखांकित किया गया। उन्होंने कहा कि तीर्थंकर दीक्षा के साथ ही चार ज्ञान के अधिपति हो जाते हैं, लेकिन फिर भी कैवल्य ज्ञान प्राप्त होने तक मौन व्रत का पालन करते हैं। यह मौन साधना उन्हें पूर्ण ऊर्जा के साथ कैवल्य ज्ञान की ओर अग्रसर करती है।.महावीर स्वामी के प्रथम समवशरण प्रसंग का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि उस समय एक भी मनुष्य उपस्थित नहीं था, इसलिए तीर्थ की स्थापना नहीं हो सकी। अगले ही दिन वैशाख सुदी एकादशी को गौतम स्वामी को प्रथम गणधर के रूप में दीक्षित किया गया और चतुर्विध संघ की स्थापना हुई। इसी दिन को जिनशासन में शासन स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है।

साध्वी ने यह प्रेरणा दी कि वाणी का उपयोग कब, कैसे और कितना करना है, यही कला व्यक्ति के व्यक्तित्व को आकार देती है। कार्यक्रम के अंत में सकल जैन संघ की ओर से साध्वी वृंद का सामूहिक वंदन कर आशीर्वाद प्राप्त किया गया।

Published on:
14 Jul 2025 08:49 pm
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