बिना हेलमेट आते है बाइक सवार विशेषकर मेवाड़ क्षेत्र के उदयपुर, भीलवाड़ा, अजमेर, जयपुर के शेखावाटी व हाड़ौती आंचल के आदिवासी क्षेत्रों के साथ मध्यप्रदेश के खंडवा, रतलाम, नीमच सहित जिलों से यात्री मोटरसाइकिलों पर हजारों की संख्या में पहुंचे रहे है। मोटरसाइकिलों पर आने वाले हजारों यात्री बाबा के दर्शन कर वापिस रवाना होते वक्त रामदेवरा मंदिर से बाबा की रंग बिरंगी पताकाएं व पट्टियां लेकर अपने वाहनों तथा सिर पर बांधकर मस्ती के साथ अपने वाहनों पर लगे टेप रिर्कोडर की ध्वनि पर झूमते हुए आते है। जिससे बाइक का संतुलन बिगड़ जाने की स्थिति में सडक़ दुर्घटनाएं भी हो रही है। हेलमेट नहीं होने पर कई बार बाइक सवारों की मौत हो जाती है, तो कई बार उनके सिर में गंभीर चोट लगने से वे कई महिनों तक बिस्तर में पड़े रहते है। प्रतिवर्ष मेले के दौरान आपस में भिड़ंत हो जाने, बाइक रपट जाने, एक दूसरे को ओवरटेक करने अथवा वाहनों की भारी भीड़ के कारण दुर्घटनाओं में कई अपनी जान गंवा चुके है तथा कई लोग बुरी तरह से घायल हो चुके है। बावजूद इसके न तो इन बाइक सवारों के आने का सिलसिला रुक रहा है, न ही प्रशासन की ओर से इन्हें रोकने के लिए कोई कार्रवाई की जा रही है। ऐसे में मेले के दौरान दुर्घटनाओं में बढोतरी हो रही है।
नहीं की जा रही है कार्रवाई मेला प्रशासन, यातायात पुलिस, परिवहन विभाग, सामान्य प्रशासन इन सभी विभागों के ढुलमुल रवैये के चलते ये जातरु खुलेआम यातायात नियमों का उल्लंघन कर किसी बाइक पर तीन, तो किसी पर बच्चों सहित आगे पीछे पांच-पांच लोग सवार होकर सैंकड़ों किमी यात्रा कर यहां पहुंच रहे है। इनमें से अधिकांश के पास न तो कोई बाइक चलाने का लाइसेंस, न बीमा, न यातायात नियमों की जानकारी होती है तथा न ही किसी के सिर में हेलमेट होता है। इन सब के बावजूद यातायात नियमों को लेकर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं किए जाने के कारण यहां प्रतिवर्ष मेले के दौरान दुर्घटनाएं होती रहती है। जब कोई दुर्घटनाएं होती है, तो थोड़ी बहुत कार्रवाई कर दी जाती है।