7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

रेतीले धोरों में महक रही अनार की खुशबू

चारों तरफ रेत के टीले और दूर-दूर तक फैले रेगिस्तान में फलों की खेती करना किसी जमाने में नामुमकिन सा था, लेकिन समय के बदलाव, नहरी पानी की आवक और भू-गर्भ में मिल रहे पानी के अथाह भंडार से अब कई तरह के फल, सब्जियां आदि यहां हो रहे है।

2 min read
Google source verification
jsm news

चारों तरफ रेत के टीले और दूर-दूर तक फैले रेगिस्तान में फलों की खेती करना किसी जमाने में नामुमकिन सा था, लेकिन समय के बदलाव, नहरी पानी की आवक और भू-गर्भ में मिल रहे पानी के अथाह भंडार से अब कई तरह के फल, सब्जियां आदि यहां हो रहे है। जिससे किसानों की आजीविका सुधर रही है तो अतिरिक्त मुनाफा भी हो रहा है। जिले के किसान उन्नत कृषि तकनीक का इस्तेमाल कर खेती में नए आयाम स्थापित कर रहे है एवं अच्छी कीमत में बिकने वाले फलों की खेती की तरफ आकर्षित हो रहे है। परंपरागत खेती से उलट फलों का बगीचा लगाकर क्षेत्र के किसानों के लिए राह आसान कर रहे है। किसान ने समय-समय पर कृषि विज्ञान केंद्र पोकरण की ओर से आयोजित होने वाले प्रशिक्षणों एवं अन्य प्रसार गतिविधियों में भाग लेकर अनार की खेती के बारे में जानकारी से और कृषि वैज्ञानिकों के परामर्श व सरकारी अनुदान से उत्साहित होकर अनार का बगीचा लगाने का निर्णय लिया। प्रगतिशील किसान बांधेवा निवासी गायडऱाम ने कड़ी मेहनत कर इस रेतीले मरुधरा में अनार की भगवा किस्म के तीन हजार पौधों का बगीचा लगाकर कामयाबी हासिल की है। मरुधरा में अनार की खेती कर इस प्रगतिशील किसान ने कर दिखाया है।

ड्रिप सिंचाई पद्धति, जैविक तकनीकों को अपनाया

उसने बताया कि बीते कई वर्षों से परंपरागत खेती कर रहा था, लेकिन बीते कुछ वर्षों से क्षेत्र में भू-जल स्तर कम होने की वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। पानी की कमी के चलते ड्रिप सिंचाई पद्धति से खेती करने की सोची। जिसमें पानी कम लगे और फसलों की पैदावार भी ज्यादा मिल सके। प्रथम वर्ष किसान की ओर से अनार के बगीचे में रसायनों का प्रयोग करने से अत्यधिक खर्चा आया। इस खर्च को कम करने के लिए किसान ने 100 प्रतिशत जैविक तरीके से अनार की खेती करने का निश्चय किया। उसने जैविक तकनीकों को अपनाया। वर्तमान में एक अनार के पौधे से लगभग 10 से 15 किलो अनार का उत्पादन होता है। जिसकी कीमत बाजार में औसतन 100 रुपए प्रतिकिलो तक मिल जाती है। कृषि विज्ञान केन्द्र पोकरण के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ.दशरथप्रसाद ने बताया कि वर्तमान समय के सापेक्ष में कृषि रसायनों पर निर्भर न रहकर उत्पादन की लागत कम कर अधिक मुनाफा कमा सकते है और मनुष्य एवं पशुओं को इन रसायनों के प्रतिकूल प्रभाव से बचा सकते है।