रेगिस्तानी शहर जैसलमेर में नखलिस्तान का आभास करवाने वाले ऐतिहासिक गड़ीसर सरोवर की तस्वीर को संवारने के लिए करवाए जा रहे पाल विस्तारीकरण व उसके सौन्दर्यकरण काम अब अंतिम दौर में पहुंच गया है।
रेगिस्तानी शहर जैसलमेर में नखलिस्तान का आभास करवाने वाले ऐतिहासिक गड़ीसर सरोवर की तस्वीर को संवारने के लिए करवाए जा रहे पाल विस्तारीकरण व उसके सौन्दर्यकरण काम अब अंतिम दौर में पहुंच गया है। इस संबंध में अब तक करीब 75 फीसदी काम पूरा हो चुका है और आने वाले समय में अंतिम दौर के कार्य करवाए जाएंगे। ये काम अब सजावटी श्रेणी वाले होंगे। अब तक पाल विस्तारीकरण करवाया जा चुका है और उन पर फर्श निर्माण का काम अंतिम चरण में है। इसके अलावा रास्ते के बीच में लगाए जाने वाले वृक्षों के लिए प्लांटर बनाए जा चुके हैं और उनकी फिनिशिंग करवाई जा रही है। बाद में उनमें पेड़ लगाए जाएंगे और साथ ही ऑर्नामेंटल लाइटिंग का काम होगा। जिम्मेदारों की मानें तो ये सब कार्य आगामी दिसम्बर माह तक पूरा हो जाएगा। गौरतलब है कि गड़ीसर लेक सौन्दर्यीकरण परियोजना के तहत आरयूआइडीपी की तरफ से यह काम करवाया जा रहा है। पहले दौर में 21.99 करोड़ रुपए की लागत के कार्य करवाए जा रहे हैं। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने अनुदान के रूप में राशि स्वीकृत की है। वैसे गड़ीसर के संपूर्ण विकास और सौन्दर्यीकरण के लिए कुल 66 करोड़ रुपए की डीपीआर बनाई गई थी।
कलात्मक गड़ीसर को निहारने के लिए लाखों देशी-विदेशी वर्ष पर्यंत पहुंचते हंै। सरोवर का मुख्य आकर्षण पानी के मध्य में बनी पीत पाषाणों से निर्मित बीच बंगली व कलापूर्ण छतरियां हैं। हालांकि देखभाल के अभाव में यह सांस्कृतिक धरोहर अपना आकर्षण खो रही है। सैलानियों के लिए शाम के समय में लाइट एंड साउंड सिस्टम विकसित हो चुका है। दिन और सायं यहां नौकायन करने भी बहुत से लोग उमड़ते हैं। वैसे गड़ीसर का जैसलमेर के सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन में भी सदियों से बहुत गहरा संबंध है