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क्षत्रिय युवक संघ का स्थापना दिवस: संस्कार निर्माण, समाज जागरण और निस्वार्थ सेवा का संदेश दोहराया

जैसलमेर जिले भर में क्षत्रिय युवक संघ का 80 वां स्थापना दिवस उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

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जैसलमेर जिले भर में क्षत्रिय युवक संघ का 80 वां स्थापना दिवस उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। चांधन प्रांत प्रमुख उम्मेदसिंह बडोड़ा के सानिध्य में बडोड़ा गांव स्थित विद्यालय में स्थापना दिवस कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत स्वयंसेविकाओं गुलाब कंवर और मनीषा कंवर की प्रार्थना एवं सहगीत से हुई। व्यवस्थापक चतुरसिंह ने बताया कि रतनसिंह ने संघ का परिचय प्रस्तुत किया तथा तनसिंह के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उनसे प्रेरणा लेकर संघ से जुडऩे का आह्वान किया।

चांधन क्षेत्र में शाखा स्तर पर भी कार्यक्रम आयोजित किए गए। पोकरण क्षेत्र के राजमथाई गांव में स्थानीय राजपूत छात्रावास परिसर में स्थापना दिवस समारोह हुआ, जिसमें सभी शाखाओं के स्वयंसेवक और समाजबंधु शामिल हुए। केशरिया ध्वज तले आयोजित कार्यक्रम में संघ प्रमुख लक्ष्मण सिंह के नववर्ष संदेश का पाठन किया गया। संदेश में बताया गया कि 79 वर्षों की यात्रा में संघ ने अनेक उतार-चढ़ाव पार करते हुए लोकसंपर्क और लोकसंग्रह के क्षेत्र में सशक्त पहचान बनाई है। यात्रा का आधार निस्वार्थ सामाजिक सेवा और समर्पण रहा है।

पोकरण प्रांत प्रमुख नरपतसिंह राजगढ़ ने संबोधन में कहा कि व्यक्तित्व निर्माण के लिए सतत प्रयास आवश्यक है तथा सामाजिक हित को व्यक्तिगत लाभ-हानि से ऊपर रखना होगा। समारोह में लगभग 150 समाजबंधु उपस्थित रहे। कार्यक्रम के बाद राजपूत समाज की चिंतन बैठक आयोजित हुई, जिसमें समाज की वर्तमान आवश्यकताओं और भविष्य की कार्ययोजना पर विचार-विमर्श किया गया।

आगामी 24 दिसंबर को पुन: बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया गया। इसी क्रम में म्याजलार स्थित स्कूल में वरिष्ठ स्वयंसेवक चंदनसिंह और भीख सिंह की उपस्थिति में कार्यक्रम हुआ। देवड़ा, बेरसियाला, धानेली, बरना सहित कई गांवों में भी स्थापना दिवस मनाया गया। जैसलमेर शहर में तनाश्रम, जवाहिर राजपूत छात्रावास, इंदिरा कॉलोनी स्थित हॉस्टल, रेवंतसिंह ढाणी और शहीद पूनमसिंह कॉलोनी की शाखाओं में कार्यक्रम संपन्न हुए। रामगढ़, मोहनगढ़, राघवा, झिनझिनयाली, नाचना और राजगढ़ क्षेत्रों में भी आयोजन हुए। झिनझिनयाली स्थित विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में लगभग 140 की उपस्थिति रही। वक्ताओं ने कहा कि संघ पिछले अस्सी वर्षों से संस्कार निर्माण और समाज जागरण का कार्य निरंतर कर रहा है, जिसका प्रभाव आज व्यापक रूप से दिखाई दे रहा है।