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जैसलमेर में शून्य स्वीकृति, बाड़मेर और बालोतरा में भी स्वीकृति प्रतिशत न्यूनतम

प्रदेश में व्यावसायिक जल कनेक्शन की स्वीकृति से जुड़े आंकड़े असंतुलन को उजागर करते हैं। अधिकांश जिलों में आवेदन बड़ी संख्या में जमा हो रहे हैं, लेकिन स्वीकृति दर अत्यंत निराशाजनक है।

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प्रदेश में व्यावसायिक जल कनेक्शन की स्वीकृति से जुड़े आंकड़े असंतुलन को उजागर करते हैं। अधिकांश जिलों में आवेदन बड़ी संख्या में जमा हो रहे हैं, लेकिन स्वीकृति दर अत्यंत निराशाजनक है। रिपोर्ट बताती है कि हजारों आवेदनों में से अधिकांश या तो खारिज कर दिए गए हैं या बिना निर्णय लंबित पड़े हैं। इस स्थिति का सीधा असर कारोबार, औद्योगिक इकाइयों और शहरी विस्तार की योजनाओं पर पड़ रहा है। हकीकत यह है कि व्यावसायिक जल कनेक्शन में लंबी देरी और कम स्वीकृति न केवल निवेश गति को प्रभावित करती है, बल्कि रोजगार, व्यापारिक विस्तार और शहरी विकास की संभावनाओं को भी सीमित करती है। प्रदेश के अधिकांश जिलों में खारिज फाइलें स्वीकृत फाइलों को कई गुना पछाड़ रही हैं।

जैसलमेर: 19 आवेदन, एक भी स्वीकृत नहीं

मरुस्थलीय पर्यटन केंद्र जैसलमेर में व्यावसायिक जल कनेक्शन की स्थिति सर्वाधिक चिंताजनक है। यहां कुल 19 आवेदन दर्ज हुए। सभी 19 आवेदनों में से 14 लंबित हैं और 5 खारिज किए गए। गौरतलब है कि पर्यटन और व्यापारिक गतिविधियों के लिए जल उपलब्धता आधारभूत आवश्यकता है, ऐसे में शून्य स्वीकृति से भविष्य के निवेश वातावरण को प्रभावित होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

बाड़मेर व बालोतरा में भी यही कहानी

बाड़मेर जिले में 84 आवेदनों में को 26 मिली है, जबकि 56 खारिज व 2 लंबित है। इस तरह बाड़मेर में स्वीकृति दर लगभग 31 प्रतिशत है। ऊर्जा व औद्योगिक गतिविधियों वाले इस जिले में जल कनेक्शन की देरी कारोबार पर सीधा असर डाल रही है। इसी तरह बालोतरा जिले में 72 आवेदनों में से 14 को ही स्वीकृति मिली है, जबकि 40 खारिज व 18 लंबित है। औद्योगिक केंद्र होने के बावजूद स्वीकृति दर केवल 19 प्रतिशत के आसपास ही है।

राजधानी क्षेत्र जयपुर में 4460 आवेदन दर्ज हुए, लेकिन केवल 347 स्वीकृत हुए। बड़ी संख्या में आवेदन खारिज किए गए और सैकड़ों आवेदन लंबित हैं। जोधपुर, बीकानेर, अजमेर, अलवर, नागौर, जालोर, चूरू और झुंझुनूं जैसे जिलों में भी स्वीकृति प्रतिशत अत्यंत कमजोर रहा। कई जिलों में स्वीकृति दर 0 से 5 प्रतिशत तक ही सिमटी रही।

प्रदेश के बड़े जिलो की भी निराशाजनक स्थिति

प्रदेश भर में आवेदन तो बड़ी संख्या में जमा हुए, लेकिन स्वीकृति दर अत्यंत कम है। लंबित और खारिज फाइलों की अधिकता विकास योजनाओं को प्रभावित कर रही है।

जयपुर- 4460 आवेदनों में 347 स्वीकृत

जोधपुर- 1298 आवेदनों में 284 स्वीकृत

बीकानेर- 570 में 140 स्वीकृत

अजमेर- 1000 में 348 स्वीकृत

चूरू - 28 में 0 स्वीकृत

झुंझुनू- 82 में 0 स्वीकृत

राजसमंद - 10 में 0 स्वीकृत

यह है हकीकत

-जल कनेक्शन स्वीकृति प्रक्रिया धीमी है।

-तकनीकी निरीक्षण और सत्यापन में लंबा समय लग रहा है।

-लंबित और खारिज फाइलों की अधिकता औद्योगिक और व्यापारिक वृद्धि को रोक रही है।

-स्वीकृति प्रक्रिया में संरचनात्मक सुधार के बिना निवेश और रोजगार दोनों प्रभावित होंगे।