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2 हजार पुरानी बसों में लगे, ठीक कितने निगम के अधिकारियों को नहीं पता

पुरानी और नई बसों में सुविधाओं का इस तरह का है अंतर

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Cemera in new roadwage bus

Cemera in new roadwage bus

जालोर. राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के बेड़े में हाल ही में शामिल की गई नई बसों में यात्रियों की सुरक्षा को लेकर बड़ा सवाल है। करोड़ों रुपए का व्यय करने के बाद रोडवेज की पुरानी बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे, जिसका मुख्य उद्देश्य परिचालक द्वारा दिए जाने वाले टिकटों की निगरानी रखना और संदिग्ध लोगों और गतिविधियों पर नजर रखना था। ये कैमरे प्रति 15 मिनट में फोटो कैप्चर करने के लिए लगे थे, लेकिन 12 नवंबर को बाड़मेर डिपो की बस में आगजनी की घटना में यह साफ हो गया कि इन कैमरों का कितना अधिक महत्व है। जानकारी में आ रहा है कि जिस बस में घटना हुई उसमें यह कैमरा नहीं था। यदि कैमरा होता को उससे फुटेज मिल जाता। प्रदेश भर में चल रही रोडवेज की पुरानी 2 हजार बसों में ये कैमरे लगाए गए थे। लेकिन इस पर भारी बजट व्यय के बाद भी कभी इन कैमरों को उपयोग तक नहीं किया गया।
यह है आंकड़ा -
4500 से अधिक बसों का संचालन हो रहा है अभी राजस्थान में
15 मिनट में एक बार कैप्चर होते थे
2 हजार पुरानी बसों में लगे हैं कैमरे
2500 हजार के लगभग बसों में नहीं कैमरे
कैमरे... 2 हजार से अधिक बसों में नहीं
रोडवेज में प्रतिदिन बड़े पैमानें पर लोग यात्रा करते हैं और लंबी रूट की बसें भी संचालित होती है, जिसमें अन्य राज्यों के यात्री भी सफर करते हैं। रोडवेज बसों में निगरानी के लिए इन कैमरों को लगाया गया था। लेकिन हाल में रोडवेज डिपो को मिली बसों में ये कैमरे नहीं लगाए गए हैं। ऐसे में अनहोनी घटना पर हालात गंभीर बन सकते हैं। साथ ही बस के भीतर के हालातों और जरुरत पडऩे पर संदिग्ध व्यक्तियों पर निगरानी रखना या उनकी फोटो निगालना भी असंभव है।
नई बसों में... फायर फाइटर लगे, कैमरे नहीं
राज्यभर में संचालित हो रही नई रोडवेज की अधिकतर बसों में सुरक्षा के लिए लिहाज से फायर फाइटर लगाए गए थे, लेकिन इन बसों में कैमरे नहीं है। अगर बाड़मेर की बसों में ये कैमरे लगाए गए होते तो हादसे के बाद में कारणों की जानकारी आसानी से पता लग सकती थी।
पुरानी बसों में... कैमरे लगे हैं, फायर फाइटर नहीं
2500 से अधिक बसें राज्यभर में संचालित हो रही है। इन बसों में एक बड़ा बजट खर्च कर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे, लेकिन कैमरे लगाने के बाद कभी उपयोगी तक साबित नहीं हुए। इधर, आगजनी की घटना पर काबू पाने के लिए इनमें फायर फाइटर नहीं है।
बाड़मेर की घटना... जिस बस में हुई आगजनी उसमें नहीं था कैमरा
रोडवेज की पुरानी बसों में कैमरे जरुर है, लेकिन नई बसों में कैमरे नहीं थे। मामले में रोडवेज की ओर से गठित कमेटी ने 12 नवंबर को बाड़मेर रोडवेज की बस में हुई आगजनी की घटना के बाद घटनाक्रम का आकलन किया। सीपीएम जोधपुर हनुमानसिंह ने बताया कि घटनाक्रम की जांच की गई। इस बस में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हुए थे।यदि होते तो उनमें फोटो कैप्चर हो जाते।
जिनमें लगे भी है वो ठीक हैं इसकी गारंटी नहीं
राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम जयपुर ऑपरेटिंग स्टाफ की मानें तो रोडवेज की ओर से करीब 4500 बसों का संचालन किया जा रहा है, जिसमें से 2000 बसों में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जो हर 15 मिनट में फोटो कैप्चर के लिए लगाए गए हैं। लेकिन अधिकारियों के पास इस बात का जवाब नहीं है कि इन कैमरों से कितने उपयोगी है या कितने अभी संचालित है। जालोर डिपो की बात करें तो पुरानी बसों में कैमरे लगे हुए हैं, लेकिन इनका उपयोग गभी नहीं किया गया।साथ ही निगम को यह भी मालूम नहीं है कि इनमें से कितने ठीक है।
...तो आसानी होती
पुरानी बसों में कैमरे जरुर लगे थे, लेकिन नई बसों में यह व्यवस्था नहीं है। 12 नवंबर को जिस बस में आगजनी की घटना हुई उसमें कैमरे नहीं थे। यदि कैमरे होते तो घटनाक्रम की जानकारी जुटाने में अधिक आसानी होती।
- गणपत सोलंकी, मैनेजर ट्राफिक, बाड़मेर
इनका कहना
रोडवेज की पुरानी बसों में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे। कैमरे लगाने का मुख्य उद्देश्य बसों में डब्ल्यूडी की संभावनाओं को रोकना था और संदिग्ध लोगों पर नजर रखना था। मेरे कार्यकाल में इन कैमरों का कभी उपयोग नहीं हुआ।
- यशवंत सिंगाडिय़ा, चीफ मैनेजर, रोडवेज जालोर
पुरानी करीब 2 हजार बसों में लगे हैं।नई में नहीं लगे है। सुरक्षा के लिहाज से कैमरे जरुरी है, इसलिए सुझावों और प्रस्तावों के आधार पर इस विषय पर कार्य किया जाएगा।
- रिजू जेकब, डीजीएम आईटी, जयपुर