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बिजली कटती दिनभर में 20 से 30 बार…पानी आता दस दिन में एक बार

Rajasthan Assembly Election 2023: भीनमाल के बाद मैं पहुंचा जिला मुख्यालय जालोर। ग्रेनाइट नगरी के नाम से मशहूर जालोर में आमजन से लेकर व्यापारी तक समस्याओं से जूझ रहे हैं।

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रुद्रेश शर्मा
जालोर. Rajasthan Assembly Election 2023: भीनमाल के बाद मैं पहुंचा जिला मुख्यालय जालोर। ग्रेनाइट नगरी के नाम से मशहूर जालोर में आमजन से लेकर व्यापारी तक समस्याओं से जूझ रहे हैं। फ्लोराइडयुक्त पानी से जोड़ों में दर्द हर घर की कहानी है तो जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होने से कई इलाके जलभराव की समस्या झेल रहे हैं। शिक्षा और चिकित्सा को लेकर यहां के लोग जोधपुर पर निर्भर हैं।

यहां मिले ग्रेनाइट व्यवसायी राजेंद्र भूतड़ा से चर्चा शुरू हुई तो बोले, जालोर ग्रेनाइट नगरी के रूप में विख्यात है। यहां करीब 1700 ग्रेनाइट इंडस्ट्रीज हैं, लेकिन इस उद्योग को जिंदा रखने में दिक्कतें आ रही हैं। हाल ही सरकार ने फ्यूल सरचार्ज लगा दिया। पहले से उद्योग की हालत खराब है, ऐसे में इस नए भार से तो कई इकाइयां बंद होने की स्थिति में आ जाएंगी। सडक़ों की हालत ऐसी है कि ट्रांसपोर्टर्स यहां गाडिय़ां भेजने को तैयार नहीं। गंभीर बीमारी में अचानक जोधपुर जाना पड़े तो सडक़ों के हाल ऐसे हैं कि हिचकौले ही रोगी की जान ले लें। रेलवे स्टेशन पर मिले ऑटो चालक गजाराम माली से बात शुरू की तो बोले, जालोर में सबसे बड़ी समस्या तो पानी निकासी की है। यहां तक कि पुलिस लाइन भी टापू बनी हुई है। सूरजपोल से रेलवे स्टेशन तक नाला नहीं बन पाया। शिवाजी नगर, एसआई कॉलोनी सहित कईं निचली बस्तियां जवाई बांध के गेट खुलते ही डूब जाती हैं। लेकिन प्रशासन कतई गंभीर नहीं।
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अस्पताल क्षेत्र में मिले व्यवसायी धनपत मूथा ने कहा कि जालोर में सबसे अधिक समस्या पानी और बिजली की है। फ्लोराइडयुक्त पानी पीने से घर-घर में जोड़ों के दर्द के रोगी हैं। हालांकि शहर में आरओबी का काम चल रहा है। इस सरकार में शुरू हुई योजनाओं से गरीबों को लाभ मिल रहा है। जालोर के आहोर रोड पर स्थित पोलजी नगर में मिलीं गृहिणी श्यामादेवी से चर्चा की तो वे बोलीं, जरा सी बरसात में सडक़ें टूट जाती हैं। जालोर में एक ही गार्डन है, नेहरू गार्डन, इसके रखरखाव पर किसी का ध्यान नहीं। शिक्षा की बात करें तो दसवीं के बाद बच्चों को पढ़ाई के लिए बाहर जाना पड़ता है।
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यहां से आहोर पहुंचा तो पूरे रास्ते सडक़ के हाल ऐसे थे कि पूछिए मत। आहोर के खालसा बस स्टैंड पर सब्जी का ठेला लगाने वाली होसीदेवी से चर्चा की तो वे बोलीं, दिनभर में 20 से 30 बार बिजली कटती है। पानी तो दस दिन में एक बार आता है। मैंने चौंककर दोबारा जोर देकर पूछा तो बोली, हां दस दिन में एक बार पानी आता है। सरकारी योजनाओं के बारे में सवाल किया तो बोलीं, कोई राहत नहीं मिली। सिलेंडर अभी भी 1100 रुपए का ही आ रहा है।

किराना व्यवसायी मोहनलाल से बात की तो उन्होंने भी पानी-बिजली की समस्याएं दोहराई। किशोरसिंह व विनोदकुमार ने कहा कि जब अस्पताल में चिकित्सक ही नहीं तो सरकार का मुफ्त उपचार व दवाइयों का दावा भी बेमानी है। आहोर को इस सरकार में नगर पालिका, वृत्ताधिकारी कार्यालय और रीको औद्योगिक क्षेत्र जैसी सौगातें तो मिली, लेकिन मूलभूत सुविधाओं के अभाव में यों लगता है, मानो इतना सब हासिल होकर भी कुछ हासिल न हुआ हो।

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