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पानी की पीर: भीनमाल जिला न बनने की टीस, माही बजाज सागर के पानी का बरसों से इंतजार

locationजालोरPublished: Jun 28, 2023 08:37:39 am

Submitted by:

Rudresh Sharma

महाकवि माघ की धरती भीनमाल अति प्राचीन नगरी है। भीनमाल को जिला नहीं बनाने की कसक यहां के बाशिंदों को रह-रह कर सता रही है। इसके लिए उनका संघर्ष अब भी जारी है।

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रुद्रेश शर्मा
जालोर. Rajasthan Assembly Election 2023: महाकवि माघ की धरती भीनमाल अति प्राचीन नगरी है। भीनमाल को जिला नहीं बनाने की कसक यहां के बाशिंदों को रह-रह कर सता रही है। इसके लिए उनका संघर्ष अब भी जारी है। वहीं माही बजाज सागर के पानी के लिए भी संघर्ष वर्षों से जारी है। शहर तक नर्बदा नहर का पानी पहुंचा है, लेकिन आपूर्ति नियमित नहीं है। मटमैला पानी हलक से नीचे नहीं उतरता।

रानीवाड़ा और सांचोर की यात्रा पूरी कर जब मैं भीनमाल पहुंचा तो ऐसा लगा मानो समस्याओं और यहां के लोगों का चौली-दामन का साथ हो। शहर के भीतरी इलाके में पहुंचा तो यहां जाकोब तालाब के पास वयोवृद्ध किसान सुरेशकुमार व्यास मिले। चर्चा शुरू हुई तो बोले भू-जल स्तर रसातल में पहुंच चुका है। न सिंचाई के लिए पानी है और न ही हलक तर करने को। माही बजाज सागर के पानी का बरसों से इंतजार है। गुजरात सरकार 1966 में हुए समझौते के बावजूद पानी देने से मुकर गई। हाइकोर्ट भी फैसला दे चुका, लेकिन पानी नहीं आया। यह संघर्ष आज भी जारी है। भीनमाल के मशहूर मौजड़ी (जूती) उद्योग के बारे में जानने के लिए मैं सहयोगी तुलसाराम माली की मोटरसाइकिल पर सवार होकर मौजड़ी मार्केट में पहुंच गया।

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यहां मिले व्यवसायी पुखराज जीनगर ने बताया कि खास तरह की कशीदाकारी की वजह से यहां की मौजड़ी की काफी मांग है। लेकिन सरकारों की ओर से इस व्यवसाय के प्रोत्साहन देने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा। यही वजह है कि नई पीढ़ी व्यवसाय से दूरी बनाने लगी है। यहां से निकलकर मुख्य बाजार में पहुंचे तो चाय की दुकान पर निजी विद्यालय के शिक्षक दीपककुमार सोलंकी मिले। वे बोले कि सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि सडक़ों के हाल खराब हैं। बाइपास पर हमेशा पानी भरा रहता है। बरसात में तो रास्ता ही बंद हो जाता है। इससे शहर पर यातायात का दबाव रहता है। पेयजल की स्थिति यह है पानी मटमैला आता है। शिकायत पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती। चाय विक्रेता सेवाराम बताते हैं कि कई सरकारें बदल गई, लेकिन समस्याएं तो जस की तस है।
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स्टेशन रोड पर मेरी मुलाकात जिला बनाओ संघर्ष समिति से जुड़े शंभूसिंह राठौड़ से हुई। वे बोले इस समय तो सबसे बड़ा मुद्दा भीनमाल को जिला बनाना ही है। भीनमाल जब तमाम मापदंड पूरे करता है, तो जिला बनना ही चाहिए। हमने गत दिनों इसके लिए धरना दिया तो इसे लेकर सकारात्मक आश्वासन दिया गया, लेकिन अब तक यह पूरा नहीं हुआ। वे बोले कि चिकित्सा, शिक्षा और आधाभूत सुविधाओं के मामले में भीनमाल पिछड़ रहा है। पेयजल के लिए नर्बदा योजना का लोकार्पण तो हो चुका है, लेकिन पानी की समस्या अभी तक दूर नहीं हुई। गांव में खारे पानी की बड़ी परेशानी है। यहां से मैं जालोर की तरफ बढ़ा तो रास्ते में घांसेडी गांव में सार्वजनिक टंकी के पास पानी भरने के लिए लगी महिलाओं की भीड़ को देखकर गाड़ी रोक दी। पास जाकर उनसे बातचीत की तो ज्योति और भावना ने बताया कि घरों तक तो दूर इस टंकी में भी पानी नहीं आता। पहले इसमें टैंकर डलवाना पड़ता है, तब कहीं जाकर गांव की महिलाएं अपने घरों के लिए पानी जुटा पाती हैं। यहां से मैं जालोर की ओर बढ़ चला।

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