
Vhicle Auction in Excise Department
जालोर. आमतौर पर लग्जरी वाहन काफी ऊंची कीमत पर बिकते हैं, लेकिन यहां ऐसा नहीं है। आबकारी महकमे में लग्जरी वाहन अपेक्षाकृत कम दामों में बिकते हैं। जबकि, खटारा हो चुके वाहन इनसे ज्यादा दाम दे जाते हैं। तस्करी मामलों में जब्त किए इन वाहनों को राजसात करने के बाद निलाम किया जाता है। इसके लिए न्यूनतम आरक्षित राशि भी तय रहती है, लेकिन लग्जरी वाहन काफी सस्ते में छूट जाते हैं। वैसे यह भी तय है कि बोलीदाता को कोईवाहन जंच जाए तो ज्यादा दाम चुकाने से भी गुरेज नहीं करते।
बताया जा रहा है कि नीलामी प्रक्रिया में लग्जरी वाहन नगण्य संख्या में होते हैं। अधिकतर बोलीदाता खटारा हो चुके भारी वाहनों का कबाड़ लेने आते हैं।लिहाजा नीलामी प्रक्रिया में शामिल एक-दो लग्जरी वाहनों की बोली भी ये लोग ज्यादा नहीं लगाते। जिला आबकारी कार्यालय की ओर से नीलामी प्रक्रिया में 58 वाहन रखे गए, जिससे करीब डेढ़ करोड़ रुपए राजस्व अर्जित किया गया।
इसलिए कम दामों में बोली
जब्त वाहनों को राजसात करने की प्रक्रिया में काफी समय लग जाता है।इस दौरान थानों में बहुधा खुले में पड़े रहने से वाहन कबाड़ होते जाते हैं। कम समय में निलाम होने वाले वाहन जरूर अच्छी कंडीशन में रहते हंै, लेकिन इस तरह के वाहनों की संख्या नगण्य होती है।ऐसे में इनकी बोली भी कम दामों में ही छूट जाती है।
मुनाफा कमाने का चक्कर
बताया जा रहा है कि बोलीदाताओं को चलते वाहन बेचने से ज्यादा कमाई पुर्जे बेचने से मिलती है।अलग किए पुर्जे बेचने से अच्छा मुनाफा मिलता है इस कारण अधिकतर की नजर वाहनों की अच्छी एसेसरीज व पुर्जों पर रहती है। अपने गैराज में वाहनों को खोल कर पुर्जे निकाल लेते हैं। मुनाफे के चक्कर में अक्सर भारी वाहन खरीदने वाले बोलीदाता ही लग्जरी वाहन भी खरीद ले जाते हैं।
अच्छा राजस्व मिला
अधिकारी बताते हैं कि राजसात किए वाहनों की नीलामी से करीब डेढ़ करोड़ रुपए का राजस्व मिला है। यह सही है कि बोलीदाता कम से कम दामों में वाहन उठाने की कोशिश में रहते हैं, ताकि ज्यादा मुनाफा कमा सके।
Published on:
11 Jan 2018 10:35 am
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