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जम्मू-कश्मीर:IPS कुमार विजय ने संभाला राज्यपाल के सलाहकार का पद,आते ही की राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर चर्चा

तमिलनाडु कैडर के 1975-बैच के आईपीएस अधिकारी कुमार 1998 से 2001 के बीच सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिरीक्षक के रूप में कश्मीर घाटी में पहले सेवा दे चुके हैं...

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ips vijay kumar

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योगेश कुमार की रिपोर्ट...

(जम्मू): जम्मू भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) से सेवानिवृत्त के. विजय कुमार (66) ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर राज्यपाल के सलाहकार के रूप में पद संभाल लिया। प्रधान सचिव गृह आर.के गोयल और सचिवालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने उनका स्वागत किया। कुमार हाल ही तक केंद्र में वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकार पद के कार्य कर रहे थे।


इन पदों पर जिम्मेदारी निभा चुके है

तमिलनाडु कैडर के 1975-बैच के आईपीएस अधिकारी कुमार 1998 से 2001 के बीच सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिरीक्षक के रूप में कश्मीर घाटी में पहले सेवा दे चुके हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय मे वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकार नियुक्त होने से पहले उन्होंने 2010 और 2012 के बीच केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक के रूप में भी कार्य किया। 2008 में विजय कुमार को हैदराबाद में सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी का नेतृत्व करने के लिए चुना गया था।


पहली बैठक में की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा

राज्यपाल के सलाहकार के रूप में पद संभालने के तुरंत बाद विजय कुमार ने अपनी पहली बैठक के दौरान शीर्ष पुलिस अधिकारियों के साथ सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। बैठक में पुलिस महानिदेशक एसपी वैद, महानिदेशक जेल, दिलबाग सिंह और विशेष डीजी वी के सिंह भी उपस्थित थे। बैठक के दौरान कश्मीर में मौजूदा सुरक्षा स्थिति पर विस्तृत चर्चा की गई। सलाहकार ने शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा एजेंसियों के बीच तालमेल पर बल दिया। जेलों में सुरक्षा प्रबंधों और बुनियादी ढांचे के बारे में भी उन्होंने जानकारी दी।

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राज्य की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करते हुए ipsविजय कुमार IMAGE CREDIT: yogesh kumar

कुख्यात तस्कर विरप्पन को उतारा मौत के घाट

बता दें कि विजय कुमार को कुख्यात चंदन तस्कर विरप्पन के एनकाउंटर के लिए भी जाना जाता है। विरप्पन के बढते आतंक को देखकर उसे पकडने के लिए सरकार की ओर से लगभग 20 करोड़ रूपए खर्च कर दिए गए थे फिर भी कोई सफलता हाथ नहीं लगी। इसके बाद विजय कुमार की कुशलता को देखते हुए उन्हें इस काम की जिम्मेदारी सौपी गई। हर छोटे से छोटे सबूतों को वीरप्पन के खिलाफ उपयोग में लेते हुए उन्होंने तलाश जारी रखी। 18 अक्टूबर,2004 को उन्होंने अपने साथियों के साथ तमिलनाडु के धरमपुरी जंगल में एक सुनियोजित एनकाउंटर के तहत वीरप्पन को मार गिराया।